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छत्तीसगढ़ में क्यों बढ़ रही हैं गोबर चोरी की घटनाएं, लोग पहरेदारी के लिए मजबूर

आपने मोबाइल फोन, कैश, सोना- चांदी या किसी महंगे सामानों की चोरी तो सुनी होगी, लेकिन कभी सोचा था कि गोबर की भी चोरी हो सकती है.

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में चोरों का हैरतअंगेज कारनामा देखने को मिला है. हाल ही में इस जिले के धुरेना गांव से 800 किलो गाय का गोबर चोरी कर लिया गया. इस अजीबोगरीब चोरी के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि घटना आठ-नौ जून की है, हमें जानकारी मिली थी कि मध्य रात्रि में दिपका पुलिस थाना क्षेत्र के धुरेना गांव से 800 किलो गाय का गोबर चोरी हो गया. उन्होंने बताया कि 15 जून को इस बाबत औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई है और मामले की जांच की जा रही है. 

आपने मोबाइल फोन, कैश, सोना- चांदी या किसी महंगे सामानों की चोरी तो सुनी होगी लेकिन कभी सोचा था कि गोबर की भी चोरी हो सकती है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर गोबर की चोरी करने से किसी को क्या लाभ हो सकता है? तो आपको बता दें कि चोरी हुए इस गोबर की कीमत 1600 रुपये के करीब है. मतलब चोरी करने वाला व्यक्ति इस गोबर को बेचकर 1600 रुपये कमा सकता है.  


छत्तीसगढ़ में क्यों बढ़ रही हैं गोबर चोरी की घटनाएं, लोग पहरेदारी के लिए मजबूर

दरअसल राज्य सरकार ने कृषि खाद के उत्पादन के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत गाय का गोबर दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है. छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से गांव के किसान, पशुपालकों को फायदा मिल रहा है. इस योजना के शुरू होने के बाद सरकार इस बात का हमेशा से दावा करती आई है कि इस योजना से किसानों को बंपर लाभ मिला है. 

हालांकि सरकार के इन दावों के बीच कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई जो इस योजना के सफल होने की ओर इशारा करती है लेकिन एक ये भी सवाल है कि क्या लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है.

कोरिया में बाड़े से गोबर गायब

छत्तीसगढ़ में पहला गोबर चोरी का मामला अगस्त (2020) में कोरिया जिले से सामने आया था. यहां मनेंद्रगढ़ ब्लॉक अंतर्गत रोझी पंचायत में फूलमती और रिच बुदिया के बाड़े में रखा लगभग 100 किलो गोबर किसी अज्ञात चोर ने गायब कर दिया. इसकी जानकारी दोनों महिलाओं ने गौठान समिति के अध्यक्ष को दी थी जिसके बाद चोर को पकड़े जाने के लिए स्थानीय थाने में आवेदन दिया गया. 

हालांकि, बाद में जिनके घर से गोबर चोरी हुआ था उनका बयान बदल गया. उन्होंने कहा कि, 'घर लिपने के लिए कोई बिना बताए गोबर ले गया था'.  हालांकि बाद में ये चर्चा शुरू हो गई थी कि उन्हें ऐसा बोलने के लिए दबाव बनाया गया था, ताकि सरकार की छवि खराब न हो क्योंकि चोरी अपराधिक घटना है और सरकार के योजना की वजह से चोरी जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिले, ऐसा कोई सरकार नहीं चाहेगी. 


छत्तीसगढ़ में क्यों बढ़ रही हैं गोबर चोरी की घटनाएं, लोग पहरेदारी के लिए मजबूर

कोरबा में 800 किलो गोबर चोरी

इसके बाद कोरबा जिले के दीपका थाना इलाके में गोबर चोरी की दूसरी घटना सामने आई. यहां जून (2021) में धुरेना गांव से 800 किलो गाय का गोबर चोरी हो गया. चोरी हुए गोबर की कीमत 1600 रुपए करीब थी. इस मामले की शिकायत पुलिस में की गई. तब पुलिस ने अज्ञात चोरी के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. बता दें कि कोरबा से पहले प्रदेश के सरगुजा और दुर्ग जिले में भी गोबर चोरी होने का मामला सामने आ चुका है. हालांकि वहां पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था.

ठीक से लागू नहीं हो रहा है योजना

हालांकि सरगुजा जिले के कुछ गौठानों में मुख्यमंत्री के मंशा के अनुरूप काम नहीं हो रहा है. ना तो यहां गोबर खरीदी की जा रही, ना ही पशुओं को रखा गया है. ग्रामीणों को किसी तरह से गौठान से कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कुछ किसानों का कहना है कि अगर गौठान का सही तरीके से संचालन होगा तो उससे निश्चित रूप से लोगों को फायदा होगा. लेकिन जिला प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

दरअसल, मैनपाट ब्लॉक के अंतर्गत परपटिया गांव में शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना अंतर्गत गौठान निर्माण किया गया है, लेकिन उसका संचालन नहीं किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को गौठान से कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

परपटिया के किसान राजकुमार यादव का कहना है, 'गौठान का काम शुरुआत में ठीक से हुआ. इसके बाद ठप हो गया, तब से ठप ही है. कोई काम नहीं हो रहा है. उन्होंने आगे बताया कि पहले बोले थे गौठान में गोबर खरीदेंगे, लेकिन अभी कुछ नहीं हो रहा है, वहां कोई जा भी नहीं रहा है, सब कुछ अधूरा पड़ा है.'

उन्होंने कहा, 'सरकार के इस योजना का कोई फायदा नहीं मिल रहा है, गौठान में कोई गोबर खरीद ही नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि उनके गांव में लगभग हजार किसान है, जो गोबर नहीं बेच पा रहे है. ग्रामीण बिहारी ने कहा कि गांव में गौठान का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा. कोई गोबर नहीं खरीद रहा है, पूरा काम ही अधूरा पड़ा है. अगर गौठान में घास, पैरा, गोबर कुछ नहीं खरीद रहे हैं तो बंद कर देना चाहिए.'

त्रिवेणी यादव ने बताया कि गांव के गौठान में गोबर नहीं खरीद रहे हैं. ना ही वहां का देख रेख या रखरखाव किया जा रहा है. गाय, भैंस कुछ भी नहीं है. वहां, गौठान से कोई फायदा नहीं मिल रहा है, शासन फालतू पैसा खर्च कर रहा है. जब ग्रामीणों को कोई फायदा ही नहीं हो रहा है तो उसे बंद कर देना चाहिए.

गोधन न्याय योजना क्या है?

गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक सरकारी स्कीम है. इस स्कीम का उद्देश्य है कि इससे प्रदेश में पशुपालकों को सरकार द्वारा आर्थिक मदद का लाभ मिल सके. इस योजना को राज्य में जुलाई 2020 से शुरू किया गया है. इसे राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुरू किया था. इस योजना के जरिए सरकार पशुपालकों से गोबर खरीदती है और इसके बदले उन्हें उचित दाम दिया जाता है. 

सरकार किसानों से गोबर खरीदकर उसे वर्मी कंपोस्ट खाद में बदलने का काम करती है. बाद में यह ऑर्गेनिक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने पिछले साल 100 करोड़ रुपये का गोबर पशुपालकों से खरीदा था. इसे बाद में खाद के रूप में बदला गया. गौठान में गोबर से बने वर्मी कम्पोस्ट खाद को 10 रुपए किलो बेचा जाता है. 

गोधन न्याय योजना का उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य यह है कि राज्य के किसान, पशुपालकों व पशुओं को लाभ मिल सके. सब जानते ही होंगे कि पशुपालक तभी गाय की देखरेख करते है. जब वह उन्हें दूध देती है और जब वह दूध देना छोड़ देती है. तब वह गाय की देखभाल करना छोड़ देते है और उन्हें इधर-उधर सड़को पर छोड़ आते है. इसी स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना को आरंभ किया. जिसके माध्यम से पशु और किसान, पशुपालक दोनों को लाभ मिल सके और लाभार्थियों की आय में वृद्धि हो सके और पशु की देख रेख भी अच्छे से हो पाए.

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