नई दिल्ली: इन दिनों टीवी का लोकप्रिय क्विज़ शो 'कौन बनगा करोड़पति' (केबीसी) प्रसारित हो रहा है. सुपरस्टार अमिताभ बच्चन द्वारा इसे होस्ट किया जाता है. शो के टेलीविजन पर वापसी के साथ ही स्कैमर भी निर्दोष नागरिकों को फंसाकर अपनी किस्मत आजमाने का प्रयास कर रहे हैं. केबीसी शो का टेलीविजन के अलावा एक ऑनलाइन सेगमेंट भी है.


दर्शक कैश प्राइज जीतने के लिए सोनी-Liv मोबाइल ऐप पर केबीसी प्ले-अलॉन्ग फीचर के माध्यम से भी शो में भाग ले सकते हैं. स्कैमर यही विश्वास दिलाकर लोगों को धोखा दे रहे हैं कि उन्होंने वास्तव में केबीसी ऑनलाइन में बड़ा इनाम जीता है. यहां आपके लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि किस तरह से स्कैमर्स लोगों को अपने झांसे में ले रहे हैं.


इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बताया कि केबीसी घोटाला कुछ नया नहीं है और यह हर साल होता है जब शो प्रसारित किया जा रहा होता है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि लोग अभी भी इस आसान घोटाले की चपेट में आ रहे हैं क्योंकि कुछ लोग "अपनी किस्मत पर अंधविश्वास करते हैं".


स्कैमर अपने डेटाबेस से किसी को भी रैंडम कॉल करते हैं और फंसाने की कोशिस करते हैं. अगर वॉयस कॉल से लोग झांसे में नहीं आते तो स्कैमर व्हाट्सएप के माध्यम से भी लोगों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. स्कैमर अधिकांश पीड़ितों को यह कहकर मनाते हैं कि "आपके परिवार के किसी सदस्य ने भाग लिया होगा और आपका नंबर दिया होगा". दिलचस्प बात यह है कि लोग उनका विश्वास करते हैं.


इन अंकों से शुरू होते हैं ज्यादातर फेक कॉल वाले नंबर
पुलिस शिकायतों के अनुसार फर्जी कॉल अधिकांश 0092 से शुरू होने वाले नंबर्स से आते हैं. स्कैमर कभी-कभी खुद को केबीसी टीम का बताकर फोन करते हैं और पीड़ितों से आसान सा सवाल पूछते हैं. वे यह भी कहते हैं कि पीड़ित का मोबाइल नंबर लकी ड्रॉ में चुना गया है.


इस तरीके से होता है फर्जीवाड़ा
यह बताने के बाद कि बाद कि पीड़ित ने केबीसी प्रतियोगिता जीती है, असली घोटाला शुरू होता है. इसके बाद पीड़ित को 25 से 30 लाख रुपये की इनाम राशि जीतने के लिए 8,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच जमा करने के लिए कहा जाता है. यह राशि आमतौर पर बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा करने के लिए कही जाती है.


कुछ मामलों में स्कैमर, पैसे जमा करने के बजाय पीड़ित के खाते से सीधे पैसे ट्रांसफर करने या बैंक खाते की डिटेल बारे में पूछते हैं. यहां समस्या यह है कि पीड़ित गोपनीय ऑनलाइन बैंकिंग विवरण दे देतें हैं जिसका उपयोग बाद में चोरी करने के लिए किया जाता है.


ये हैं बचने का उपाय
अगर आपको इस तरह के घोटालों से बचना है तो इसके लिए काफी सतर्क रहने की जरूरत है. फोन पर किसी भी व्यक्ति को अपने खाते से संबंधित कोई गोपनीय जानकारी न दें. चाहे वह बैंककर्मी होने का ही दावा क्यों न करे. साथ ही फर्जी फोन कॉल्स से भी सावधान रहें.


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