Goa Maritime Conclave: गोवा में तीन दिवसीय मेरिटाइम कॉनक्लेव शुरू, हिंद महासागर क्षेत्र के 12 नौसेना प्रमुख ले रहे हैं हिस्सा
Goa Maritime Conclave: सम्मेलन को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के अलावा रक्षा सचिव, अजय कुमार और विदेश सचिव, हर्ष श्रृंगला मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करेंगे.
Goa Maritime Conclave 2021: हिंद महासागर क्षेत्र में आतंकी और दूसरे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए भारतीय नौसेना आज से तीन दिवसीय गोवा मेरिटाइम कॉनक्लेव का आयोजन करने जा रही है. कॉनक्लेव 9 नवंबर तक चलेगा. इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में इंडीयन ओसियन रिजन (आईओआर) के 12 देशों के नौसेना प्रमुख हिस्सा लेने जा रहे हैं.
इस साल की थीम क्या है?
गोवा मेरिटाइम कॉनक्लेव का इस साल की थीम है 'मेरिटाइम सिक्योरिटी एंड इमरजिंग नॉन ट्रेडेशनल थ्रेट्स: ए केस फॉर प्रोएक्टिव रोल फॉर आईओआर नेवीज़'. सम्मेलन को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के अलावा रक्षा सचिव, अजय कुमार और विदेश सचिव, हर्ष श्रृंगला मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करेंगे. भारतीय नौसेना का गोवा स्थित नेवल वॉर कॉलेज इस सम्मेलन को आयोजित कर रही है.
गोवा मेरिटाइम कॉनक्लेव का ये तीसरा साल है और इस साल बांग्लादेश, म्यंमार, श्रीलंका, मॉरीशस, मालद्वीप, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, सेशल्स, सिंगापुर, मेडागास्कर और कामरोस हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, इस सम्मेलन के आयोजन करने का उद्देश्य समंदर में 'रोजाना शांति बनाए रखना है'.
समंदर के रास्ते आतंकी हमले को लेकर भारत सतर्क
बता दें कि साल 2008 में मुंबई में हुआ 26/11 आतंकी हमला समंदर के रास्ते ही हुआ था. अभी भी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन समंदर के रास्ते आतंकी हमला करने की साजिश रचते रहते हैं. कमांडर मधवाल के मुताबिक, गोवा कॉनक्लेव भारतीय नौसेना की आउटरीच पहल है जो समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाले नौसैनिकों और शिक्षाविदों के सामूहिक ज्ञान का उपयोग करने के लिए परिणाम उन्मुख समुद्री विचार प्राप्त करने के लिए एक बहुराष्ट्रीय मंच है.
सम्मेलन के दौरान हिस्सा लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों को भारतीय नौसेना के मेक इन इंडिया कार्यक्रम से रूबरू कराया जाएगा. इसके अलावा प्रतिनिधियों को डीप सबमर्जेंस रिस्कयू वैसेल (डीएसआरवी) की क्षमताओं के बारे में जानकारी दी जाएगी. भारतीय नौसेना दुनिया की उन चुनिंदा नौसेनाओं में शामिल है जो समंदर के नीचे 750 मीटर तक किसी सबमरीन के दुर्घटना होने की स्थिति में इस डीएसआरवी का उपयोग किया जा सकता है.