Corona Third Wave: कोरोना की तीसरी लहर से निपटने पर चर्चा, निर्मला सीतारमण ने कहा- अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने पर दिया जाए बल
Corona Third Wave: कोरोना की तीसरी लहर से निपटने पर चर्चा के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने पर बल दिया जाए.
Corona Third Wave: केरल और देश के कुछ अन्य राज्यों में कोरोना की हालत चिंताजनक बनी हुई है. कुछ जानकर इसे कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत के तौर पर भी देख रहे हैं. ऐसे में सरकार की कोशिश स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार तीसरी लहर को रोकने या उसके असर को कम करने की हर संभव कोशिश कर रही है.
वित्त मंत्री ने इस दिशा में टीकाकरण अभियान का ज़िक्र करते हुए कहा कि टीकाकरण अभियान की रफ़्तार लगातार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. सीतारमण ने कोरोना के मद्देनज़र देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत करने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि देश में प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों के साथ साथ जांच जैसी सुविधाओं की और ज़्यादा ज़रूरत है. साथ ही, उन्होंने छोटे और मध्यम दर्जे के शहरों में अस्पतालों की क्षमता बढ़ाए जाने को भी ज़रूरी बताया.
वित्त मंत्री ने कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए स्वास्थ्य सेक्टर को मज़बूत किए जाने से जुड़े एक वेबिनार को संबोधित किया. वेबिनार में बोलते हुए नीति आयोग के सदस्य और कोरोना से जुड़े एक टास्कफोर्स के अध्यक्ष डॉ वी के पॉल ने अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की संख्या को बेहद कम बताया.
एक तुलनात्मक आंकड़ा देते हुए डॉ पॉल ने कहा कि फ़िलहाल देश में प्रति एक हज़ार व्यक्ति पर महज एक बेड उपलब्ध है जो एक चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि इसे कम से कम दो बेड प्रति हज़ार व्यक्ति करने की ज़रूरत है.
वी के पॉल ने कहा कि कुल मिलाकर बेडों की संख्या को वर्तमान के क़रीब 12 लाख से बढ़ाकर 24-25 लाख तक करने की ज़रूरत है. बेडों की कमी को उन्होंने कोरोना जैसी महामारी से निपटने में एक बड़ी बाधा बताया.
हालांकि वेबिनार में बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि कोरोना की शुरुआत से सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लगातार बढ़ाने की कोशिश की गई है. उन्होंने जानकारी दी कि जहां आज़ादी के बाद सात दशकों में देशभर के सरकारी अस्पतालों में क़रीब 16000 वेंटिलेटर की सुविधा थी वहीं पिछले डेढ़ सालों में इसे बढ़ाकर 60000 से ज़्यादा कर दिया गया है. हालांकि भूषण ने ये ज़रूर माना कि बीमारी की जांच की सुविधा को बड़े पैमाने पर बढ़ाए जाने की ज़रूरत है.