नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण काल में फिलहाल देश भर में यूनिवर्सिटी, कॉलेज और स्कूल बंद हैं, जिसकी वजह से स्कूलों में अगले सत्र की शुरुआत भी नहीं हो पाई है. ऐसे में अब सवाल ये खड़ा हो रहा है अगले सत्र को लेकर कि नए सत्र की शुरुआत किस तरह से की जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यह तय किया है कि स्नातक के पहले और दूसरे साल की परीक्षाएं नहीं होंगी, इंटरनल एसेसमेंट और पिछली छमाही के नतीजों के 50 फीसदी अंकों को जोड़कर छात्रों को आगे प्रमोट किया जाएगा.
थर्ड ईयर के छात्रों का क्या होगा!
ऐसे में सवाल यह था कि थर्ड ईयर के छात्रों को लेकर क्या फैसला लिया जाता है, क्योंकि उसी के आधार पर उनकी स्नातक की पढ़ाई को पूरा माना जाता है और डिग्री दी जाती है. अब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इसका भी फैसला कर लिया है. थर्ड ईयर के छात्रों के लिए ओपन बुक एग्जाम कराया जाएगा. इसका मतलब थर्ड ईयर के छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा होगी, जिसमें छात्रों के पास इम्तिहान की तिथि वाले दिन प्रश्न पत्र पहुंचेगा. छात्र प्रश्न पत्र को या तो वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं या फिर मेल पर मंगा सकते हैं. अगर वेबसाइट और मेल नहीं चल रहे तो प्रश्न पत्र को व्हाट्सएप पर भी मंगा सकते हैं.
परीक्षार्थियों को जवाब देने के लिए 2 घंटे का वक्त और डाउनलोड और अपलोड करने के लिए 1 घंटे का वक्त दिया जाएगा. प्रश्न पत्र डाउनलोड होने के 2 घंटे के भीतर छात्र को A4 साइज के पेपर पर अपना उत्तर लिखना होगा और 2 घंटे का समय पूरा होते ही उस ए 4 साइज की शीट को अपलोड करना होगा, मेल के ज़रिए भेजना होगा. अगर छात्र के लिए यह मुमकिन नहीं तो फोटो खींच कर व्हाट्सएप करना होगा.
कई लोग यूनिवर्सिटी प्रशासन के फैसले के खिलाफ भी
इन सबके बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन से जुड़े कई लोग भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं. सवाल उठाने वालों का कहना है कि अगर इस तरीके से ओपन बुक ज्ञान होगा तो दिल्ली यूनिवर्सिटी की जो साख बनी थी उस पर बट्टा लग जाएगा क्योंकि ओपन बुक इम्तिहान का मतलब यह है कि छात्र के पास पेपर जरूर पहुंच जाएगा, लेकिन उसको हल करने के लिए उसके पास किताब से लेकर नेट तक सब कुछ मौजूद होगा. ऐसे में छात्र के ज्ञान का अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है.
इस सत्र के लिए लिया गया है यह फैसला- डीयू
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने साफ किया है कि इस साल जो फैसला लिया गया है. वह कोरोना काल में सामने आई परिस्थितियों को देखकर लिया गया है और यह फैसला सिर्फ इसी सत्र के लिए ही लिया गया है.
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