नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे.
इस सबके बीच में सरकार ने किसानों को बातचीत का न्यौता भी दिया है. लेकिन सरकार और किसान संगठनों के बीच होने वाली है इस बातचीत से क्या कुछ हल निकल सकता है उसको लेकर भी सवाल बने हुए हैं. उसकी वजह यह है कि प्रदर्शन में शामिल अलग-अलग किसान संगठन अलग-अलग बातें कर रहे हैं. कुछ किसान संगठन कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य को जोड़ने की बात कर रहे हैं तो कुछ किसान संगठन तीनों किसी कानूनों को ही रद्द करने की.
किसानों के साथ सरकार की बैठक में सरकार की कोशिश यही है कि एक बीच का रास्ता निकले. हालांकि इस बीच सूत्रों से ऐसे भी जानकारी निकल के सामने आ रही है कि सरकार किसी भी सूरत में कृषि कानून को वापस लेने को तैयार नहीं है. वहीं कुछ किसान संगठन सरकार से इसी मांग को लेकर मिलने भी जा रहे हैं ऐसे में बातचीत कैसे आगे बढ़ेगी यह अपने आप एक बड़ा सवाल है.
सरकार की दिक्कत यह भी है कि उसने बैठक के लिए जिन किसान संगठनों को बुलाया है उसके अलावा भी कई और किसान संगठन भी सड़कों पर प्रदर्शन में शामिल है. ऐसे में सवाल यही है कि बैठक में पहुंचे किसान संगठन के प्रतिनिधि अगर सरकार की बात मान भी लेते हैं तो क्या सड़कों पर बैठे अलग-अलग संगठनों के लोग भी उन बातों को मान लेंगे!!
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 32 किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया था, ये वो किसान संगठन है जिनसे केंद्र सरकार पहले भी बातचीत करती रही है. हालांकि किसान संगठनों की सरकार से मांग पर 4 और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल होने के लिए अनुमति दे दी गई है. लेकिन जो बात इस आंदोलन को खत्म करने में आड़े आ सकती है वह है अलग-अलग किसान संगठन और उनके अलग-अलग मत.
ऐसे में अगर केंद्र सरकार 36 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को समझाने में कामयाब भी हो जाती है तो बड़ी चुनौती यही है होगी कि वह 36 संगठन के लोग सड़क पर मौजूद बाकी संगठन के लोगों और किसानों को भी क्या आंदोलन खत्म करने के लिए मना पाएंगे.
यह भी पढ़ें.
गरमाया रहेगा आईपीओ का बाजार, इस साल आईपीओ से कंपनियों ने कमाए 25 हजार करोड़ रुपये