नई दिल्ली: राहुल गांधी 2013 में जयपुर में कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने थे. तब से ही कांग्रेस के भीतर टीम राहुल और बुजुर्ग नेताओं के बीच खेमे बंटे हुए हैं और पीछले सात साल से यह समस्या बार-बार पार्टी के सामने आती है. इस बार मार्च में कांग्रेस के हिस्से में 10 राज्यसभा सीटें आने वाली हैं और पहली बार ऐसा हो रहा है कि दूसरी पीढ़ी के नेताओं को भी इस बार राज्यसभा भेजा जाएगा.


कांग्रेस को राजस्थान से 2, छत्तीसगढ़ से 2, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक से एक-एक करके कुल दस राज्यभा सीटें मिलेंगी.


कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजना तय माना जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का फैसला हो रहा था तो सिंधिया ने गांधी परिवार की बात मानी. एक बार भी कमलनाथ का विरोध नहीं किया.


उसके बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रियंका गांधी के साथ उत्तरप्रदेश का महासचिव भी बनाया गया था. दूसरा नाम है राहुल गांधी के नजदीकी माने जाने वाले कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला का है. कांग्रेस रणदीप सुरजेवाला को भी राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रही है. इसकी बड़ी वजह है कि जब पार्टी को मोदी सरकार के खिलाफ कुछ कहना होता है तो उसमें रणदीप सुरजेवाला नजर आते हैं.


तीसरा नाम है झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह का हाल में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहली बार 16 सीटें जीतकर आई और जेएमएम के साथ सरकार बनाई. इसका श्रेय आरपीएन सिंह को दिया जा रहा है तो आरपीएन को भी राज्यसभा सीट मिल सकती है. महाराष्ट्र से राजीव सातव और मुकुल वासनिक में से किसी एक को राज्यसभा सीट दी सकती है. राजीव सातव गुजरात के प्रभारी हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं इसके अलावा मिंलिद देवड़ा और जितिन प्रसाद भी कतार में हैं. यानि कुल मिलाकर यह पहली बार हो रहा है कि दूसरी पीढ़ी के नेता और खासतौर पर राहुल गांधी के नजदीकियों को भी इस बार कांग्रस राज्यसभा भेज रही है.


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