नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक हॉस्टल को हाल में ढहाने के बाद इसमें रह रहे दृष्टिबधिर छात्रों के एक समूह से उन्हें दी गई दूसरी जगह पर रहने को कहा. अदालत ने कहा कि वो सरकारी जमीन पर अवैध रूप से रह रहे थे और वो इस पर कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकते.


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बेंच ने हालांकि संबंधित एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि ठंड में बिना छत के छोड़े गये इन छात्रों को व्यवस्थित हॉस्टलों में रखा जाए.


अदालत नौ दृष्टिबधिर छात्रों की एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उन्हें दक्षिण पश्चिम दिल्ली में हॉस्टल से गैरकानूनी रूप से जबरन निकाल दिया गया. वो साल 2000 से वहां रह रहे थे.