नई दिल्लीः दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिन आरोपियों को मार्च महीने के बाद से जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया था अब उनको एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने मार्च महीने में जारी हुए उस आदेश में बदलाव किया है जिसके तहत जेल में बंद उन आरोपियों को अंतरिम जमानत देने की बात कही गई थी, जिन्होंने दिल्ली की अलग-अलग अदालतों में जमानत अर्जी दायर की हुई थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था की क्योंकि देश में लॉक डाउन का एलान हो चुका है और अदालतों में कामकाज बहुत सीमित है. लिहाजा ऐसे माहौल में जो याचिकाएं अदालत के सामने जमानत को लेकर आती हैं या जो ज़मानत याचिकायें लंबित हैं फिलहाल ऐसे आरोपियों को अग्रिम जमानत पर रिहा करें. इस शर्त के साथ कि जैसे ही अदालत आदेश देंगी आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे वापस आना होगा. इस तरह से दिल्ली की जेलों से करीब 5500 से ज्यादा आरोपियों को अंतरिम जमानत मिल गई थी और वह फिलहाल जेल से बाहर थे.
आरोपियों को अब वापस कोर्ट या जेल के सामने सरेंडर करना होगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि जिन आरोपियों को सशर्त जमानत पर रिहा किया गया था उनको अब वापस कोर्ट या जेल के सामने सरेंडर करना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए बाकायदा तारीख भी तय कर दी है कि किस दिन कौन से आरोपियों को सरेंडर करना होगा। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक मध्य दिल्ली क्षेत्र के जिन आरोपियों को तीस हजारी कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 2 नवंबर को सरेंडर करना होगा. पश्चिम दिल्ली क्षेत्र के जिन आरोपियों को तीस हजारी कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 3 नवंबर को सरेंडर करना होगा. जिन आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत दी गई थी उनको 4 नवंबर को सरेंडर करना होगा. पूर्वी दिल्ली से आने वाले आरोपियों को जिनको कड़कड़डूमा कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 5 नवंबर को सरेंडर करना होगा. उत्तर पूर्वी दिल्ली से आने वाले आरोपियों को जिनको कड़कड़डूमा कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 6 नवंबर को सरेंडर करना होगा. शाहदरा इलाके से आने वाले जिन आरोपियों को कड़कड़डूमा कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 7 नवंबर को सरेंडर करना होगा. उत्तर ज़िले से आने वाले को आरोपी जिनको रोहिणी कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 8 नवंबर को सरेंडर करना होगा. उत्तर पश्चिम दिल्ली से आने वाले जिन आरोपियों को रोहिणी कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 9 नवंबर को सरेंडर करना होगा. दक्षिण पश्चिम दिल्ली जाने वाले जिन आरोपियों को द्वारका कोर्ट से जमानत मिली थी उनको 10 नवंबर को सरेंडर करना होगा. दक्षिणी दिल्ली से आने वाली जिन आरोपियों को साकेत कोर्ट से ज़मानत मिली थी उनको 11 नवंबर को सरेंडर करना होगा. दक्षिण पूर्वी दिल्ली से आने वाले जिन आरोपियों को साकेत कोर्ट से ज़मानत मिली थी उनको 12 नवंबर को सरेंडर करना होगा. वहीं, दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत से जिन आरोपियों को जमानत मिली थी उनको 13 नवंबर को सरेंडर करना होगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों को वापस जेल भेजने का फैसला दिल्ली के तिहाड़ जेल प्रशासन और अलग-अलग जेल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। दिल्ली हाईकोर्ट दी गई रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के अलग-अलग जेलों में 16 हजार से ज्यादा आरोपी बंद है जिनमें मौजूदा वक्त में सिर्फ तीन आरोपियों को ही कोरोना संक्रमण हुआ है और इन तीनों आरोपियों को भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। इसको देखने के बाद हाईकोर्ट ने माना है कि फिलहाल जेलों के भीतर जो कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ था उस पर फिलहाल काबू किया गया है। इसी वजह से इन आरोपियों को वापस जेल भेजने का फैसला किया गया।
कोरोना काल में दिल्ली के अलग-अलग अदालतों से आरोपियों को मिली थी जमानत
हालांकि हाईकोर्ट के आदेश में साफ तौर पर कहा है कि निचली अदालतें आरोपियों के मामलों को और उनकी अर्जियों और याचिकाओं को देखते हुए यह तय करें कि क्या उनको दी गई जमानत को जारी रखना है या फिर वापस जेल भेजना है. कोरोना काल में दिल्ली के अलग-अलग अदालतों से 2,318 ऐसे आरोपियों को जमानत मिली थी जो गंभीर मामलों में जेल में बंद थे. वही, 2,907 ऐसे आरोपियों को जमानत पर रिहा किया गया था जिनके ऊपर लगी धाराएं ज्यादा गंभीर नहीं थी. इसी दौरान 356 आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी अंतिम जमानत पर रिहा किया था.
गौरतलब है कि देश में लॉक डाउन के साथ ही अदालत में भी कामकाज काफी सीमित हो गया था. लिहाजा उसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के सभी अदालतों को आदेश जारी किया था कि कोरोना के माहौल में कोरोना संक्रमण और न फैले इस वजह से जिन आरोपियों ने अदालत में जमानत अर्जी या याचिका लगा रखी है उनको फिलहाल के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए, इस शर्त के साथ कि जब अदालत का आदेश होगा उनको सरेंडर करना होगा.
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