नौसैनिक युद्धपोत पर मालदीव से लौट रहे लोगों को देना होगा 3032 रुपये का सेवा शुल्क
कोरोना संकट के कारण अलग अलग देशों में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए सरकार वंदे भारत मिशन चला रही है. अभियान के लिए बनी नियमावली में प्राथमिकता उन लोगों को दी जा रही है जो किसी मुश्किल हालात में हैं
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नई दिल्ली: मालदीव में फंसे कई भारतीय नागरिकों को लाने के लिए भारतीय नौसेना का भारी भरकम पोत आईएनएस जलश्व माले पहुंच गया है. यह पोत 8 मई को करीब 750 भारतीय नागरिकों को लेकर कोच्चि के लिए रवाना होगा. मगर नौसैनिक पोत के रास्ते वतन वापसी के लिए भारतीय नागरिकों को 40 डॉलर यानी करीब 3032 रुपये की फीस चुकानी होगी.
मालदीव स्थित भारतीय उच्चायोग के मुताबिक यह यात्री किराया नहीं है, बल्कि एवैक्यूएशन सर्विस चार्ज यानी सेवा शुल्क है. आईएनएस जलश्व से वापस लाए जा रहे सभी लोगों से माले के वेलेना एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह सेवा शुल्क लिया जाएगा. संभवत: यह पहला मौका है जब भारतीय नौसैनिक पोत के सहारे किसी मुल्क से निकाले जा रहे लोगों को सेवा शुल्क चुकाना पड़ रहा हो.
हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह युद्धग्रस्त यमन से भारतीय लोगों की निकासी के लिए चलाए गए ऑपरेशन राहत जैसा अभियान नहीं है. बल्कि वंदे भारत मिशन के तहत मालदीव में चलाए जा रहे ऑपरेशन समुद्र सेतु में सरकार केवल उन लोगों को मदद दे रही है, जो वापस आना चाहते हैं. वहीं, जो शुल्क लिया जा रहा है वो यात्रा खर्च का केवल एक अंश मात्र है. शेष खर्च सरकार ही वहन कर रही है.
महत्वपूर्ण है कि कोरोना संकट के कारण अलग अलग देशों में फंसे लोगों को वापस लाने के लिए सरकार वंदे भारत मिशन चला रही है. अभियान के लिए बनी नियमावली में प्राथमिकता उन लोगों को दी जा रही है जो किसी मुश्किल हालात में हैं और मजबूरी में वापस लौटना चाहते हैं. मई 7 से शुरू हुए इस अभियान के तहत नागरिक विमानों के साथ साथ नौसैनिक युद्धपोतों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
भारतीय नौसेना ने आईएनएस जलश्व के अलावा आईएनएस मगर को भी ऑपरेशन समुद्र सेतु के लिए लगाया है. मालदीव भेजे गए नौसैनिक पोत जलश्व में विशेष इंतजाम में किए गए हैं. जिसके तहत युद्धपोत में नागरिकों के रुकने और रात बिताने के लिए व्यवस्था की गई है. साथ ही युद्ध पोत को किसी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए डिसिन्फेक्ट भी किया गया है.
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