RSS Chief Mohan Bhagwat: बिहार के चार दिवसीय दौरे पर आये संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने सोमवार को दरभंगा में कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग परिभाषा के अनुसार हिंदू हैं और देश की सांस्कृतिक प्रकृति के कारण यहां पर विविधता पनपी है.


मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व सदियों पुरानी संस्कृति का नाम है, जिसके लिए सभी विविध धाराएं इस पर अपनी उत्पत्ति का श्रेय देती हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर अलग-अलग धाराएं उत्पन्न हो सकती हैं और एक-दूसरे के विपरीत प्रतीत हो सकती हैं, लेकिन उनके मुताबिक सभी की शुरुआत एक ही स्रोत से होती है. 


महिलाओं को मां की नजर से देखें
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दूसरों में खुद को देखना, महिलाओं को वासना की वस्तु नहीं बल्कि मां के रूप में देखना और दूसरों के धन का लालच नहीं करना जैसे मूल्य हिंदू लोकाचार को परिभाषित करते हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व एक सूत्र है, जो सभी को जोड़ता है. जो अपने को हिंदू मानते हैं, वे सब हिंदू हैं. जिनके पूर्वज हिंदू थे, वे सब भी हिंदू हैं.


क्या है संघ का उद्देश्य?
मोहन भागवत ने कहा कि जो कोई भी भारत माता की प्रशंसा में संस्कृत के छंदों को गाने के लिए सहमत है और भूमि की संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, वह हिंदू है. भारत की प्राचीन समय की शक्ति को याद करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ का उद्देश्य खोई हुई महिमा को वापस लाना है.


क्या करते हैं स्वंय सेवक?
मोहन भागवत ने कहा कि इतने महान राष्ट्र के निर्माण के लिए एक अनुकूल सामाजिक वातावरण की आवश्यकता है जिसे संघ बनाना चाहता है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमारे स्वयं सेवक शाखाओं में सिर्फ एक घंटा बिताते हैं. दिन के बचे हुए 23 घंटे सरकारी सहायता का एक पैसा स्वीकार किए बिना, निस्वार्थ समाज सेवा प्रदान करने में व्यतीत होते हैं.


उन्होंने कहा कि संघ को अस्तित्व में आना पड़ा क्योंकि बड़े पैमाने पर समाज अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत नहीं था और यदि सभी लोग निःस्वार्थ सेवा में लग जाएं तो लोगों को संघ की पट्टी पहनने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि तब प्रत्येक नागरिक अपने आप में एक स्वयंसेवक माना जाएगा.


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