नई दिल्ली: एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने में अड़चन बनने वाले फैसले पर क्या दोबारा विचार हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ये तय करेगी. साल 2006 में आए इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए प्रमोशन में आरक्षण को गलत कहा था.


क्या है 2006 का फैसला?

एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने के कानून को कोर्ट ने सही ठहराया था. लेकिन कहा था कि इस तरह का आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे.

इसी फैसले की वजह से तमाम राज्यों में एससी/एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए बनाए कानून रद्द होते रहे हैं. हाल के दिनों में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में ऐसा हो चुका है. हाई कोर्ट के फैसलों के खिलाफ सभी राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है.

आज क्या हुआ?

आज महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा कि पहले ये तय होना ज़रूरी है कि नागराज फैसले पर दोबारा विचार होना चाहिए या नहीं. चूंकि नागराज फैसला पांच जजों की बेंच का था. इसलिए इतने ही जजों की बेंच ये तय कर सकती है.

इससे पहले कल दो जजों की बेंच ने मध्य प्रदेश, बिहार और त्रिपुरा के मामले को पांच जजों की बेंच में भेज दिया था. लेकिन आज चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में बैठे तीन जजों ने कहा कि सबसे पहले ये तय होने चाहिए कि नागराज मामले के फैसले पर पुनर्विचार हो या नहीं. ज़ाहिर है इसका असर तमाम राज्यों पर पड़ेगा.