KCR Party EX Mla German Citizen: तेलंगाना हाई कोर्ट ने सोमवार (09 दिसंबर, 2024) को कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास की दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि के. चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस से विधायक रह चुके चेन्नामनेनी रमेश एक जर्मन नागरिक हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा सीट से चुनाव लड़ने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और खुद को एक भारतीय नागरिक के रूप में पेश किया.
अदालत ने माना कि रमेश जर्मन दूतावास से यह पुष्टि करने वाले दस्तावेज पेश करने में विफल रहे कि वह अब उस देश के नागरिक नहीं हैं. अदालत ने उनके ऊपर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 25 लाख रुपये श्रीनिवास को दिलवाए हैं, जिनके खिलाफ रमेश नवंबर 2023 का चुनाव हार गए थे.
कांग्रेस नेता श्रीनिवास ने दी प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में श्रीनिवास ने कहा, "पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर कड़ी प्रतिक्रिया. रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जो जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे."
रमेश इससे पहले वेमुलावाड़ा सीट से चार बार जीते थे. 2009 में तेलुगु देशम पार्टी के टिकट पर और फिर 2010 से 2018 तक तीन बार, जिसमें पार्टी बदलने के बाद हुआ उपचुनाव भी शामिल है. कानून के मुताबिक, गैर-भारतीय नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते या वोट नहीं दे सकते.
क्या है पूरा मामला?
2020 में केंद्र ने तेलंगाना हाई कोर्ट को सूचित किया था कि रमेश के पास एक जर्मन पासपोर्ट है, जो 2023 तक वैध है और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही उनके भारतीय नागरिकता को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया था, इस आधार पर कि उन्होंने अपने आवेदन में तथ्य छुपाए थे.
गृह मंत्रालय ने कहा, "उनके (रमेश के) गलत बयान/तथ्यों को छिपाने से भारत सरकार गुमराह हुई. अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे तो इस मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी ने नागरिकता प्रदान नहीं की होती." इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की.
इसके बाद उनसे एक हलफनामा दाखिल करने को कहा गया, जिसमें उनके जर्मन पासपोर्ट के समर्पण से संबंधित विवरण का खुलासा और उसे संलग्न करने के साथ ही यह भी प्रमाणित करने को कहा गया कि उन्होंने अपनी जर्मन नागरिकता छोड़ दी है.
2013 में तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इसी कारण से उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था. इसके बाद रमेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और स्थगन की मांग की.
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