नई दिल्ली: भारत में मौजूद तिब्बत की निर्वासित सरकार के अगले सिक्यॉन्ग (या राष्ट्रपति) के चुनाव के लिए प्राथमिक मतदान रविवार 3 जनवरी को होगा. दो उम्मीदवार, जो प्राथमिक चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करेंगे, आगामी 11 अप्रैल को अंतिम मतदान प्रक्रिया में शरीक होंगे. विजेता उम्मीदवार को 2026 तक पांच साल के कार्यकाल के लिए निर्वासित तिब्बतियों के राजनीतिक नेता के रूप में पदभार मिलेगा.
भारत ही नहीं संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और दुनिया भर के अन्य देशों में निर्वासित की तरह रहने वाले हजारों तिब्बति मतदान में शरीक होंगे. तिब्बत की निर्वासित संसद और राष्ट्रपति भारत के धर्मशाला से अपना कामकाज चलाते हैं. सिक्यांग के लिए होने जा रहे ताजा चुनाव में 7 उम्मीदवार मैदान में हैं.
चीन के विरोध को करारा सन्देश देने की कोशिश करेंगे निर्वासित तिब्बती
अपनी 17वीं संसद के इस चुनाव के जरिए निर्वासित तिब्बती चीन सरकार के विरोध को भी करार जवाब देने की कोशिश करेंगे. तिब्बतियों की इस चुनावी प्रक्रिया को हाल ही में अमेरिका से पारित तिब्बती पॉलिसी एंड स्पोर्ट एक्ट 2020 के जरिए नई ताकत मिली है. जाहिर है कि निर्वासित तिब्बती संसद की चुनावी कवायद से भारत और चीन के बीच रिश्तों में पहले से जारी तनाव का पारा भी बढ़ने की आशंका है.
यह भी पढ़ें-