नई दिल्ली: बीते साल 2019 में भारत ने अपने 110 बाघ खो दिए वहीं 491 तेंदुओं की भी जान चली गई. जानकारी के मुताबिक इनमें से करीब एक तिहाई बाघ अवैध शिकार की चपेट में आ गए थे. साल 2018 में 34 बाघों ने शिकार के चलते जान दी थी वहीं 2019 में करीब 38 बाघ शिकारियों का निशाना बने.


दूसरी ओर जहां 2018 में 500 तेंदुओं की मौत हुई थी, 2019 में 491 तेंदुओं को जान देनी पड़ी. दुख की बात ये है कि अधिकतर तेंदुओं की मौत सड़क और रेल हादसों में हुई. ये सभी एक एनजीओ (WPSI) के आंकडे हैं जो शेर, चीते, बाघ और तेंदुए की गिनती करता है.


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आपको बता दें कि 2018 में 104 बाघों की मौत हुई थी वहीं 2019 में 110 बाघों की मौत हुई है. WPSI के एक अधिकारी नितिन देसाई ने कहा,"ट्रैफिक बढ़ रहा है, सड़कें चौड़ी हो रही हैं और ये जानवर मारे जा रहे हैं."


उन्होंने कहा,"वैसे तो आंकडों को लेकर कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, अलग अलग परिस्थितियों और समस्याओं के चलते ये जानवर अपनी जान गवां रहे हैं."


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2019 में मध्यप्रदेश में सबसे अधिक बाघों की जान गई. इस दौरान यहां 29 बाघ मारे गए. इसके बाद नंबर है महाराष्ट्र का जहां 22 बाघों की जान गई. 2018 में भी मध्यप्रदेश में 23 और महाराष्ट्र में 19 बाघ मारे गए थे.


कर्नाटक में 2018 में 16 बाघ मारे गए थे जबकि 2019 में 12 बाघ मारे गए. वहीं उत्तराखंड में 2018 में 8 बाघ मारे गए थे जबकि 2019 में ये आंकडा बढ़ कर 12 हो गया. यूपी में दोनों साल ही 6-6 बाघ मारे गए.


दूसरी ओर नेश्नल टाइगर कंजरवेशन एथॉरिटी ने जो आंकडे जारी किए हैं उनके मुताबिक 2019 में 92 बाघों की मौत हुई है वहीं 2018 में 102 बाघों की मौत हुई थी.