नई दिल्ली: हिन्दुस्तान में अलग-अलग धर्मों के लोगों की वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन में भले ही अंतर हो, लेकिन जब बात इंसानियत की आती है तो सभी एक हो जाते हैं. सभी धर्म मनुष्य को एक-दूसरे से अलग नहीं करते बल्कि उन्हें एक साथ मिलकर रहने की सीख देते हैं. धर्मिक सहिष्णुता और सार्वभौम स्वीकृति की ऐसी कई मिसालें आज भी देखने को मिलती है, जब 'राम-रहीम' में कोई फर्क नहीं रहता, रोजेदार सिर्फ मुसलमान नहीं होते, बल्कि हिन्दू भी होते हैं. इस तरह ये लोग सद्भावना की नजीर पेश करते हैं.
ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला है दिल्ली के तिहाड़ जेल में जहां मुसलमान कैदियों के साथ हिन्दू कैदी भी रोज़ा रख रहे हैं. वो भी रमजान के इस पाक महीने में उतनी ही शिद्दत से नियमों का पालन कर रहे हैं, जितनी शिद्दत से एक मुसलमान कैदी कर रहा है.
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने 'हिन्दुस्तान टाइम्स' को बताया है कि इस बार कम से कम 150 हिंदू कैदी तिहाड़ जेल के अंदर रोजा (उपवास) रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि रोजा करने वाले हिंदू कैदियों की संख्या इस साल पिछले साल के मुकाबले बढ़ी है. पिछले साल 59 कैदियों ने रोजा रखा था.
जेल के प्रवक्ता ने बताया, ''तिहाड़ के विभिन्न जेलों में 16,665 कैदियों में से कम से कम 2,658 कैदी जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं, उन्होंने रोजा रखा है. हमने उनके लिए विशेष व्यवस्था की है. पिछले साल की तुलना में इस साल उपवास रखने वाले हिंदू कैदियों की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है.''
बता दें कि मई के पहले सप्ताह में विभिन्न जेलों में बंद अधिकांश हिंदू कैदियों ने अपने संबंधित जेल अधीक्षकों से मुलाकात की और उन्हें सूचित किया कि वे भी रमजान के दौरान उपवास करेंगे. एक अन्य जेल अधिकारी ने कहा कि हर साल नवरात्रि के दौरान भी इसी तरह का माहौल देखने को मिलता है. नौ दिवसीय हिंदू त्योहा के दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम कैदी हिंदू कैदियों के साथ उपवास करते हैं.
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