DG Tihar Exclusive: गैंगस्टर टिल्लू तजपुरिया की हत्या के बाद तिहाड़ जेल में अब कैसी है सुरक्षा? DG संजय बेनीवाल ने abp न्यूज़ को बताया
Tihar Jail DG Sanjay Beniwal: तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर उठ रहे सवालों के बीच इस केंद्रीय कारागार के महानिदेशक संजय बेनीवाल ने एबीपी न्यूज से विशेष बातचीत की है.
![DG Tihar Exclusive: गैंगस्टर टिल्लू तजपुरिया की हत्या के बाद तिहाड़ जेल में अब कैसी है सुरक्षा? DG संजय बेनीवाल ने abp न्यूज़ को बताया Tihar Jail DG Sanjay Beniwal Exclusive Interview Tells Measures Being Taken After murder of gangster Tillu Tajpuriya now ANN DG Tihar Exclusive: गैंगस्टर टिल्लू तजपुरिया की हत्या के बाद तिहाड़ जेल में अब कैसी है सुरक्षा? DG संजय बेनीवाल ने abp न्यूज़ को बताया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/05/26/c123e89a6496bdd885b590a569f27b9f1685039531181124_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Tihar Jail DG Sanjay Beniwal Exclusive: दिल्ली स्थित केंद्रीय कारागार तिहाड़ के महानिदेशक संजय बेनीवाल ने जेल में सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले उपायों के बारे में एबीपी न्यूज के साथ विशेष बातचीत की. पिछले दिनों तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया पर हमलाकर उसकी हत्या कर दी गई थी. आरोप गोगी गैंग के गुर्गों पर लगा था. इस घटना के बाद तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठे. तिहाड़ जेल के डीजी ने कई सवालों के जवाब दिए हैं.
तिहाड़ जेल के डीजी संजय बेनीवाल ने कहा, ''हमारी कोशिश है कि अब कोई वारदात न हो. इस तरह की वारदातों में कई कारण होते हैं, यह जो हुआ, इसके बाद से हमने सिक्योरिटी ऑडिट किया जिससे पता चला कि कहां-कहां पर दीवार छोटी है या कहां पर तार लगवाने हैं.'' उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी को और मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है.
QRT टीम की जरूरत
उन्होंने बताया कि कानून के मुताबिक, जेल के अंदर हथियार नहीं ले जा सकते हैं. पॉली कार्बनिक डंडे होते है तो हमें त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) की जरूरत है, जिसके पास फुल बॉडी प्रोटेक्टर हों और नॉन लीथल वेपन जैसे कि आंसू गैस, स्टंट ग्रेनेड और कई प्रकार के शॉक बेटन जैसी चीजों से वो लैस हो.
जेल के डीजी ने कहा, ''क्यूआरटी बन गई है लेकिन इक्विपमेंट को लाने में थोड़ा बहुत समय लगता है. लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर देखा गया. हर जगह पर हर प्वाइंट के ऊपर जो ड्यूटी के मापदंड हैं कि किस प्वाइंट पर आपको क्या करना है, उसके स्टैंडिंग ऑर्डर लिखवाए जा रहे हैं ताकि हमारी कार्य प्रणाली सुदृढ़ हो. हर वार्ड के अंदर रोज का सिक्योरिटी चेकअप करवाया जा रहा है.'' उन्होंने कहा कि चीजों को आइडेंटिफाई करने, रोजाना चेक करने, उनकी रिपोर्ट बनाने और सिस्टम में सुधार लाने की जरूरत के हिसाब से चीजें शुरू कराई गई हैं.
तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने कहा, ''जिन कैदियों को सिक्योरिटी थ्रेट (सुरक्षा की दृष्टि से खतरा) होता है बाहर से या खुद से, उनके असेसमेंट (मूल्यांकन) के लिए एक कमेटी होती है. कमेटी में दिल्ली पुलिस के नुमाइंदे होते हैं ताकि जो उनके पास सूचना है वो साझा कर सकें. उसके आधार पर हम यह फैसला कर सके कि किसको कहां अलग करना है.''
'हर गैंग में सौ-डेढ़ सौ आदमी'
डीजी संजय बेनीवाल ने कहा, ''जेल के अंदर लगभग 10 से 12 गैंग हैं. जिनमें से हर एक के 100-150 आदमी छोटे बड़े लेवल के हैं. ये कभी एक हो जाते हैं, कभी अलग हो जाते हैं. यह डायनेमिक रहता है. फिर कोई आ रहा है, किसी को बेल मिल रही है, इनके नंबर में भी इजाफा या कमी होती रहती है. इसके लिए पूरा चैनल होना चाहिए तो यह सिक्योरिटी ऑडिट हर महीने करवाया जा रहा है.''
'बड़े अपराधियों की ओर से गलत काम के लिए इस्तेमाल होते हैं फोन'
जेल के डीजी ने कहा, ''कैदियों के बात करने का माध्यम टेलीफोन है. एलजी साहब ने भी एक कमेटी बनाई है, जिसका काम है कि किस प्रकार इन जेल को फोन से मुक्त करवाया जा सकता है. उसका तरीका यह है कि फोन अंदर जाने बंद होंगे तो अंदर से फोन कर पाना ही असंभव हो जाएगा, लेकिन जो गलत काम के लिए फोन इस्तेमाल होते हैं वो बड़े अपराधियों की ओर से होते हैं. आम अपराधी घर बात करते हैं. यह बहुत जरूरी है कि अगर हम 5 मिनट हर कैदी को घर पर बात करने की इजाजत देंगे तो उतने फोन होने चाहिए ताकि सुविधा हो. ऐसा होने से मेरा मानना है कि फोन की जरूरत कम हो जाएगी. अवैध फोन की. फोन को फिर हम जाम कर पाएंगे तो बिल्कुल ही बंद हो जाएंगे. यह बहुत जरूरी है कि जेल को जो सुविधाएं हैं वो उपलब्ध हों.''
उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार ने जो नया मॉडल प्रिजन एक्ट निकाला है, उसमें समस्या को काफी हद तक एड्रेस किया गया है.'' उन्होंने कहा कि पेपर स्प्रे खरीदने का विचार है. साथ ही कहा कि टेसर गन में अभी कुछ हेल्प की समस्या है उस पर विचार करने की जरूरत है.
'कैदी मेरी नजर में कैदी होते हैं'
तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने कहा, ''कैदी मेरी नजर में कैदी होते हैं. सब बराबर होते हैं, कई हार्ड एंड क्रिमिनल होते हैं जो बार-बार अपराध करते हैं. कानून कहता है कि उनके साथ थोड़ा से अलग व्यवहार की आवश्यकता है. जो कैदी पहली बार ही आता है, उसे हमारे यहां सबसे अलग रखा जाता है. 18 से 21 उम्र वालों को हम यंग ऑफेंडर कहते हैं. उनकी अलग जेल होती है जो दोषी ठहरा दिए जाते हैं, उनका अलग जेल होता है. हमारी सिक्योरिटी कमेटी जब बताती है कि यह हार्ड क्रिमिनल है और इसको खतरा है तो हम हाई सिक्योरिटी बोर्ड में रखते हैं. वे अलग हो जाते हैं. उनके ऊपर अलग प्रतिबंध होता है जो मैनुअल में लिखा गया है.''
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शंभू भद्र](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/fdff660856ace7ff9607d036f59e82bb.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)