टिकरी बॉर्डर: जहां जारी है किसानों का आंदोलन उसी गांव के किसान ने नहीं लिया प्रदर्शन में हिस्सा, जानें वजह
अनिल नाम के किसान के खेतों से महज 200 मीटर की दूरी पर किसानों का आंदोलन चल रहा है. अनिल ने बताया कि वो इस आंदोलन में क्यों शामिल नहीं हुए. इसके साथ ही उन्होंने नए कृषि कानूनों पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी.
नई दिल्ली: दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान धरने पर हैं. तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांगों पर अड़े हैं. एबीपी न्यूज़ की टीम इस बॉर्डर के आसपास लगने वाले खेतों में पहुंची. यहां के एक किसान अनिल से मुलाकात हुई. तीन महीने की मेहनत के बाद किसान अनिल का खेत लहलहा रहा था. गाजर की फसल तैयार थी और बड़ी संख्या में मजदूरों के साथ अनिल गाजर की खुदाई में जुटे थे. अनिल का टीकरी कलां में 87 एकड़ में खेत है, जहां फिलहाल गाजर, मूली और गोभी की बुआई की गई थी.
किसान आंदोलन में नहीं हुए शामिल अनिल
किसान अनिल के खेतों से महज 200 मीटर की दूरी पर आंदोलन चल रहा है. किसानों ने हाईवे बंद किया हुआ है. धरने में क्यों शामिल नहीं हुए, इस सवाल पर अनिल का कहना है, “वो किसान हो ही नहीं सकता जो सड़कों पर बैठा है.”
अनिल का कहना है कि मौजूदा कानून से इन्हें बहुत फायदा हुआ है. इनका कई बड़ी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया है. ये कंपनी सीधा इनसे माल उठा लेती है और मंडी से बेहद बेहतर दाम इन्हें मिल रहे हैं. साथ ही आढतियों को जाने वाला कमीशन भी बच रहा है.
सरकार से भी मिल रही है मदद
किसान अनिल ने बताया कि अब तो सरकार भी बहुत मदद कर रही है. हर महीने सरकार के यहां से लोग भी आते है और कैसे बेहतर खेती हो, ये समझा कर जाते हैं. इतना ही नहीं जिन कंपनी को अपनी फसल ये बेच रहे है वो भी अच्छी फसल हो उसके लिए मदद करते हैं. हालांकि, अनिल का कहना है कि मंडियां भी जरूरी है. लेकिन नए कानून से इनकी आमदनी काफी बढ़ गई है.
अनिल जैसे करोड़ों किसान हैं जो इन कानून से बेहद खुश नजर आ रहे हैं. हालांकि, मंडियां खत्म नहीं होगी औऱ एमएसपी की सिक्योरिटी के लिए भी सरकार अमेंडमेंट करने को तैयार है.
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