श्रीनगर: अचानक से लिए गए फैसले में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) से मंगलवार को समर्थन वापस ले लिया. इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) की सरकार गिर गई और एक राज्य में बीजेपी की सरकार कम हो गई. इस्तीफा देने के बाद महबूबा मुफ्ती राज्य की सीएम नहीं रहीं और अब राज्य की बागडोर राज्यपाल के हाथों में होगी. इसी बीच आइए आपको बताते हैं कि 2014 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर राज्य में अब तक का घटनाक्रम क्या और कैसा रहा-
जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद का राजनीतिक घटनाक्रम कुछ इस प्रकार है:
- 28 दिसंबर, 2014: विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा हुई जिसके बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन गई यानी किसी को साफ बहुमत नहीं मिला. 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, बीजेपी को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं.
- 28 दिसंबर: जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया.
- पीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चलने लगी. गठबंधन के एजेंडा-कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को अंतिम रूप देने के लिए दो महीने तक विचार-विमर्श किया गया.
- एक मार्च, 2015: मुफ्ती मोहम्मद सईद ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. राज्य में राज्यपाल शासन समाप्त हुआ.
- सात जनवरी, 2016: मुफ्ती सईद का बीमारी के कारण एम्स, नयी दिल्ली में निधन हो गया.
- आठ जनवरी, 2016: गठबंधन जारी रखने को लेकर बीजेपी-पीडीपी में स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण फिर से राज्यपाल शासन लागू किया गया.
- पीडीपी ने गठबंधन के एजेंडे को लागू करने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की, सरकार चलाने के लिए अनिच्छुक दिखी. राज्यपाल शासन जारी रहा.
- 22 मार्च: महबूबा मुफ्ती ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बैठक के बाद उन्होंने ऐलान किया कि वो केंद्र के आश्वासन से संतुष्ट हैं.
- चार अप्रैल: महबूबा मुफ्ती ने राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
- पांच अप्रैल: भारत और पाकिस्तान के बीच एक क्रिकेट मैच के बाद स्थानीय छात्रों और दूसरी जगहों के छात्रों के बीच झड़प के बाद श्रीनगर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी) में संकट की स्थिति उत्पन्न हुई.
- आठ जुलाई: हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकी बुरहान वानी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया. वानी की मौत को लेकर पीडीपी-बीजेपी के बीच मतभेद देखने को मिला. आतंकी की हत्या के बाद हुए प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के कारण 85 लोगों की जानें गयी.
- नौ मई, 2018: महबूबा मुफ्ती ने मुठभेड़ की जगहों के पास नागिरकों के मारे जाने के मामलों में वृद्धि को देखते हुए सर्वदलीय बैठक बुलायी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की तत्कालीन सरकार द्वारा घोषित संघर्षविराम की तर्ज पर ऐसा करने की मांग की. बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने इसका विरोध किया.
- 17 मई: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में एक महीन तक आतंकियों के खिलाफ अभियान को निलंबित रखने का ऐलान किया.
- सीजफायर के दौरान आतंकियों ने पत्राकार सुजात बुखारी की हत्या कर दी. इसी दौरान भारतीय सेना के जवान औरंगजेब की भी अपहरण करके हत्या कर दी गई.
- इस दौरान कई आतंकवादी हमले हुए जिनमें कई जवानों समेत आम नागरिकों को भी अपनी जानें गंवानी पड़ी.
- 17 जून: राजनाथ सिंह ने ऐलान किया कि केंद्र एकतरफा संघर्षविराम को जारी नहीं रखेगा. उन्होंने कहा कि संघर्षविराम की अवधि के दौरान आतंकी घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए आतंकवाद-रोधी अभियान को फिर से शुरू किया जाएगा.
- 18 जून: बीजेपी आलाकमान ने जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल बीजेपी के सभी मंत्रियों को दिल्ली तलब किया.
- 19 जून: बीजेपी ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने त्यागपत्र दिया. राज्य एक बार फिर से राज्यपाल शासन लगाया गया.
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