बेंगलुरू: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कनार्टक विधानमंडल के संयुक्त सत्र में आज मैसूर के बादशाह टीपू सुलतान का नाम लिया. इसके बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी में सियासी वाकयुद्ध छिड़ गया. यह घटनाक्रम 10 नवंबर को टीपू सुलतान की जयंती मनाने के राज्य सरकार के कदम पर मचे विवाद के बीच हुआ. बीजेपी इस कदम का पुरजोर विरोध कर रही है. उसका आरोप है कि शेर-ए-मैसूर के नाम से मशहूर 18वीं सदी के मैसूर के शासक जालिम हत्यारा था.


राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कर्नाटक को योद्धाओं की भूमि बताते हुए कहा, ‘‘टीपू सुलतान ने ब्रिटिश राज से लड़ते हुए बहादुरों की मौत पाई. वह विकास के प्रणेता थे और जंग में उन्होंने मैसूर रॉकेट का इस्तेमाल किया था. यह तकनीक बाद में यूरोपवासियों ने अपनाई.’’ इससे पहले कोविंद ने कृष्णदेवराय समेत कर्नाटक के दूसरे ऐतिहासिक हस्तियों के योगदान की चर्चा की. कृष्णदेवराय 1509 से 1529 तक विजयनगर साम्राज्य के शासक थे.


राज्य विधानसभा के विधान सौध की हीरक जयंती मनाने के लिए आयोजित इस सत्र में राष्ट्रपति ने जैसे ही टीपू सुलतान का जिक्र किया, कांग्रेस विधायकों ने मेजें थपथपा कर अभिवादन किया. टीपू सुलतान मैसूर रियासत के शासक थे. उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का जानी दुश्मन माना जाता था. उन्होंने ब्रिटिश सेना से लड़ते हुए और श्रीरंगापटना के अपने किले की रक्षा करते हुए मई 1799 में अपनी जान दे दी.


विपक्षी बीजेपी और कुछेक संगठन टीपू सुलतान की जयंती मनाने का विरोध करते हैं. वे टीपू सुलतान को ‘‘धार्मिक कट्टरवादी’’, ‘‘धर्मांध’’ और ‘‘कन्नड विरोधी’’ बताते हैं. कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता केएस ईश्वरप्पा ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने संबोधन में टीपू सुलतान का जिक्र कर राष्ट्रपति के कार्यालय को गुमराह किया है.


ईश्वरप्पा ने कहा, ‘‘मैं इसकी निंदा करता हूं.’’ बीजेपी नेता ने आरोप लगाया, ‘‘यह राज्य सरकार की ओर से कर्नाटक की जनता का अपमान है. जब राष्ट्रपति, टीपू सुलतान की चर्चा कर रहे थे तो अगर हम उसपर एतराज करते तो यह प्रोटोकॉल के उल्लंघन की तरफ जाता.’’ बीजेपी के इन अरोपों पर प्रतिक्रिया करते हुए प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा कि बीजेपी को शर्मिंदा होना चाहिए.