Tipu Sultan Row: कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक विधायक ने हवाई अड्डों का नाम बदलने का एक प्रस्ताव दिया. विधानसभा से यह प्रस्ताव गुरुवार (15 दिंसबर) को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित हो गया. इसको लेकर राज्य में कांग्रेस और बीजेपी एक बार फिर आमने-सामने आ गई हैं.


पीटीआई के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया है कि हुबली हवाई अड्डे का नाम क्रांतिवीरा संगोल्ली रायन्ना, बेलगावी हवाई अड्डे का नाम कित्तूर रानी चेनम्मा, शिवमोगा हवाई अड्डे का नाम राष्ट्रकवि डॉ के वी पुट्टप्पा (कुवेम्पु) और विजयपुरा हवाई अड्डे का नाम श्री जगज्योति बसवेश्वर होनी चाहिए. वहीं, इसमें मंदकल्ली हवाई अड्डा का नाम 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया गया था.


हुबली-धारवाड़ (पूर्व) विधानसभा के विधायक प्रसाद अब्बय्या ने हवाईअड्डे के नाम बदलने पर चर्चा के दौरान कहा, "मैं मैसूरु हवाईअड्डे का नाम टीपू सुल्तान हवाईअड्डा करने का प्रस्ताव करता हूं." कांग्रेस नेता के इस बयान के बाद विपक्षी दल बीजेपी ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. 


2016 से शुरू हुआ था विवाद
वैसे कर्नाटक में टीपू सुल्तान को लेकर हुआ विवाद नया नहीं है. इसकी शुरुआत 10 नवंबर 2016 को उस समय हुई थी, जब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनका जन्मदिन मनाना शुरू किया था. 


तब से वोटर्स का ध्रुवीकरण करने के लिए कर्नाटक और पड़ोसी महाराष्ट्र दोनों में बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन बार-बार टीपू सुल्तान का उल्लेख करते रहे हैं. इससे पहले इस साल जून में भी कुछ हिंदू संगठनों ने मैसूर के शासक और मुगल सम्राट औरंगजेब को लेकर वायरल हुई एक सोशल मीडिया पोस्ट पर हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था.


बीजेपी ने उठाया था मुद्दा
इस साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के राज्य प्रमुख नलिन कतील ने इस विषय पर वोटर्स के बीच विभाजन पैदा करने के लिए हर कोशिश की थी. इसमें स्थानीय लोगों से टीपू सुल्तान के फॉलोवर्स को मारने का आग्रह करना भी शामिल था.


इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कांग्रेस पर हमला किया और टीपू सुल्तान और यादगीर में एक ट्रैफिक सिग्नल का नाम सावरकर के नाम पर रखे जाने के बाद हुई झड़पें को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था.


इसके अलावा विवाद इस बात पर था कि टीपू सुल्तान की हत्या किसने की थी. इतिहासकारों का मानना है कि उनकी मृत्यु 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में हुई थी. हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले कुछ वर्गों के दावे थे कि वोक्कालिगा समुदाय के दो सरदारों ने टीपू की हत्या कर दी थी.


वोक्कालिगा राजनीतिक रूप से एक शक्तिशाली वर्ग है, जो राज्य की आबादी का लगभग 16 प्रतिशत है. उसने कभी भी बीजेपी के पक्ष में मतदान नहीं किया. ऐसे में 2018 के चुनाव से पहले भी, बीजेपी ने टीपू सुल्तान को खोज निकाला.
 
इसके अलावा कर्नाटक चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी एंट्री हुई और उन्होंने टीपू सुल्तान के खिलाफ भगवान हनुमान को खड़ा करके तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला किया.


कांग्रेस सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का लगाया आरोप
इसके जवाब में कांग्रेस ने बीजेपी पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया. चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और सिद्धरमैया मुख्यमंत्री बने. उन्होंने कित्तूर रानी चन्नम्मा (कर्नाटक में एक पूर्व रियासत की रानी जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था) और टीपू सुल्तान को आत्मसम्मान के लिए लड़ने की प्रेरणा बताया.


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