नई दिल्ली/मैसूर: केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े के बयान ने टीपू सुल्तान के इतिहास को विवादों की फेहरिस्त में खड़ा कर दिया है. हेगड़े टीपू को बलात्कारी और हिंदुओं का दुश्मन बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर टीपू सुल्तान के समर्थकों और विरोधियों के बीच बहस छिड़ी हुई है लेकिन सच क्या है?


टीपू सुल्तान जिसे मैसूर का शेर कहा जाता था उसे देश के केंद्रीय मंत्री बलात्कारी क्यों बता रहे हैं? टीपू सुल्तान जिसे इतिहास ब्रिटिश सेना को धूल चटाने के लिए याद करता है उसे देश के केंद्रीय मंत्री कट्टर मुस्लिम शासक और हिंदुओं का दुश्मन क्यों बता रहे हैं? क्या आपने जो टीपू सुल्तान के बारे में देखा, पढ़ा और सुना वो सब झूठ है?


इतिहास के पन्नों में मैसूर के सुल्तान टीपू की जो कहानी दर्ज है क्या तथ्यों के लिहाज से वो सटीक नहीं है? ये तमाम सवाल उठे हैं देश के केंद्रीय कौशल विकास राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के एक बयान के बाद. लेकिन भला अनंत कुमार ने टीपू सुल्तान पर अचानक बयान क्यों दिया?


दरअसल बयान के पीछे है 10 नवंबर टीपू सुल्तान की जयंती का कार्यक्रम, जिसके लिए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े को न्योता भेजा है. न्योता मिलते ही अनंत कुमार हेगड़े गुस्से भर उठे और चेतावनी दी कि अगर उन्हें कार्यक्रम में बुलाया गया तो वो वहीं टीपू सुल्तान के काले अध्याय की पोल खोलकर रख देंगे.


विवाद शुरू कहां से हुआ ये तो आप समझ गए होंगे लेकिन शुरू होने के बाद ये देश के कोने-कोने तक सोशल मीडिया की वजह से फैला। टीपू सुल्तान के मुद्दे पर फेसबुक दो धड़ों में बंट चुका है. ये विवाद हिंदू बनाम मुसलमान और बीजेपी बनाम कांग्रेस हो चुका है.



सोशल मीडिया पर घूम रहा है ये मैसेज


टीपू सुल्तान को सोशल मीडिया ब्रिगेड क्या कह रही है जरा वो देख लीजिए. सनी वर्मा लिखते हैं- टीपू सुल्तान एक वहशी बलात्कारी था जिसने हिन्दुओं का कत्लेआम किया,और जिसने अपनी तलवार पर खुदवाया था कि, "या खुदा मुझे इतनी ताकत दे कि मैं हिन्दुस्तान के सभी हिन्दुओं का कत्ल कर सकूँ. कोंग्रेस अब उस बलात्कारी और हत्यारे की जयंती मनाने जा रही है. शर्म करो..


वहीं दूसरे सज्जन लिखते हैं, जहां बीजेपी अयोध्या में दिवाली मना रही है वहीं कांग्रेस कर्नाटक में बलात्कारी टीपू सुल्तान की जयंती. यही तो फर्क है विचारधारा का.


क्या है इन दावों की हकीकत


1782 से लेकर 1799 तक मैसूर के सुल्तान रहे टीपू के नाम पर राजनीति भी हो रही है और मुद्दे को सांप्रदायिक भी बनाया जा रहा है. टीपू का सैकड़ों साल पुराना इतिहास वर्तमान में सबसे बड़ा विवाद बन चुका है. लेकिन सवाल ये है कि टीपू सुल्तान का सच क्या है? क्या टीपू सुल्तान ने वाकई मंदिर गिराए थे? क्या टीपू सुल्तान की सल्तनत में महिलाओं के साथ बलात्कार हुए थे? क्या टीपू सुल्तान ने हिंदुओं का कत्लेआम करवाया था?


देश के इतिहास पर जब एक केंद्रीय मंत्री ही सवाल उठाने लगे तो मामला गंभीर हो जाता है. जो टीपू सुल्तान को पढ़ चुके हैं उनके मन में और जो आने वाले वक्त में पढ़ेंगे उनके मन में किसी तरह का भ्रम ना रहे, इसलिए हमने पड़ताल का फैसला किया और सच जानने के लिए तीन मोर्चों पर पड़ताल शुरू की.


पहला मोर्चा वो राष्ट्रवादी हैं जो टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी शासक बताते हैं हम उनसे पूछा कि ऐसा कहने के पीछे उनके तर्क और तथ्य क्या हैं? दूसरा मोर्चा वो वामपंथी हैं जिन पर टीपू सुल्तान की झूठी छवि देश के सामने परोसने का आरोप है और तीसरा मोर्चा है इतिहासकारों का. जो तथ्य के आधार पर ये साबित करेंगे कि कौन सच्चा है और कौन झूठा?



संघ का क्या है कहना?


पहले मोर्चे के लिए हम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक राकेश सिन्हा से मिले. हमने उनसे पूछा कि टीपू सुल्तान को क्रूर और बलात्कारी सुल्तान बताने के पीछे उनके तर्क क्या हैं. उन्होंने कहा, एक पत्र में टीपू सुल्तान स्वयं कहते हैं कि मैंने 4 लाख हिंदुओं का धर्मांतरण कर लिया है. दूसरे पत्र में कहते हैं कि अल्लाह के आशीर्वाद से कालीकट के तमाम हिंदुओं का धर्मांतरण कर लिया है. टीपू सुल्तान के सैकड़ों पत्र हैं, अपने पत्रों में ही दावा करता है कि वो किस तरह का व्यवहार हिंदू और ईसाई महिलाओं से करता था. कैसे उसकी सेनाएं जबर्दस्ती करती थी. जो शासक मंदिरों और चर्च को तोड़ने के लिए गर्व महसूस करता है क्या इतिहास में उसकी व्याख्या महान शासक के तौर पर की जानी चाहिए.



टीपू पर क्या कहता है लेफ्ट?


इसके बाद हम दूसरे मोर्चे यानि लेफ्ट के पास पहुंचे. हमने सीपीआई के अतुल अंजान से पूछा कि आपके लिए टीपू सुल्तान एक राष्ट्रभक्त शासक क्यों है? उन्होंने कहा, अंग्रेज हर साल एक गजेटियर हर जिले से छापते थे, टीपू सुल्तान के जमाने के मैसूर राज्य के गजेटियर निकाले गए जिसमें लिखा है ये भारत की आजादी की बात करता है, ये अंग्रेजों को खदेड़ने की बात करता है, उस गजट को झुठलाने का कोई कारण नहीं है. इतिहास टीपू सुल्तान को ऐसे याद रखेगा कि एक व्यक्ति जो देश की आजादी के लिए लड़ा, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी.


बीजेपी और लेफ्ट टीपू सुल्तान के लिए अपने-अपने तर्क पेश कर कर रहे थे. लेफ्ट टीपू सुल्तान को देश का हीरो बता रहा था जबकि बीजेपी टीपू सुल्तान को विलेन के तौर पर पेश कर रही थी. लेकिन किसके तथ्यों में दम है ये जानने के लिए हम तीसरे आखिरी मोर्चे पर यानि इतिहास के जानकारों के पास पहुंचे.



इतिहास का क्या है कहना?


हमने देश के बड़े इतिहासकार इरफान हबीब से बात की. हमने तमाम दावों पर इरफान हबीब से सवाल किए. इरफान हबीब ने बताया, टीपू सुल्तान ने मालाबार में हुई बगावत का दमन किया था और इस बगावत को दबाने के लिए जुल्म भी हुए थे. लेकिन हबीब ने टीपू सुल्तान के मंदिर गिराने और हिंदुओं के धर्मांतरण वाली बात से साफ इंकार किया.


इतिहास के मुताबिक मालाबार में हिन्दू रहते थे और उन पर जुल्म भी हुए लेकिन टीपू का वजीर खुद एक हिन्दू था. ये जुल्म बगावत को दबाने के लिए हुए थे जैसा कि उन दिनों हुआ करता था. इसके पीछे टीपू की कोई हिन्दू विरोधी मानसिकता नहीं थी.