Tirupati Balaji Laddu Controversy: तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का मामला तूल पकड़ चुका है. ये सारा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब दो दिन पहले आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने पिछली यानी जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाले घी के इस्तेमाल का आरोप लगाया.
प्रसाद बनाने में जो घी इस्तेमाल हुआ उसकी लैब में जांच हुई है और रिपोर्ट में बीफ टैलो और लार्ड जैसे शब्द लिखे गए हैं. बीफ टैलो यानी बीफ से तैयार फैट और लार्ड यानी सुअर के मांस से तैयार फैट. बस इसके बाद हड़कंप मच गया. राजनीति से लेकर संत बिरादरी क्रोध में हैं और दोषियों के खिलाफ फांसी जैसी कठोर सजा की मांग कर रहे हैं.
देशभर में मचा हडकंप
पूरे हिंदुस्तान में क्रोध की ऐसी ज्वाला भड़की हुई है, जिसकी तपिश आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर से लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में महसूस की जा रही है. मामला हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है. भावनाएं तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाले उस प्रसाद से जुड़ी हैं, जिसे पाकर करोड़ों भक्त खुद को धन्य मानते हैं. तमाम भक्तों को प्रसाद वाला लड्डू तभी मिलता है, जब आधार कार्ड दिखाया जाए. भगवान व्यंकटेश्वर के चरणों में चढ़ने वाले प्रसाद की जो लैब रिपोर्ट सामने आई है उसमें क्या लिखा है वो समझिए. आंध्र प्रदेश सरकार के सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट सबसे पहले एबीपी न्यूज के पास आई थी. इस रिपोर्ट में साफ लिखा है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में इस्तेमाल होने वाले घी का सैंपल 9 जुलाई को लैब को मिला और तीन दिन तक इसकी जांच हुई. रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है पांचवां पन्ना.
मछ्ली, गोमांस और सूअर के मांस का फैट?
पांचवें पन्ने पर लिखा है फॉरेन फैट के तौर पर घी में क्या-क्या इस्तेमाल हुआ. पहले नंबर पर सोयाबीन, सनफ्लॉवर कॉटन सीड के साथ फिश ऑयल का नाम लिखा है. दूसरे नंबर पर कोकोनट और पाम कर्नेल फैट है. तीसरे कॉलम में लिखा है पॉम ऑयल और बीफ टैलो. चौथे नंबर पर लिखा है लार्ड. इस रिपोर्ट में बीफ टैलो और लार्ड जैसे शब्द चौंकाते हैं. एबीपी न्यूज ने फूड एक्सपर्ट पूजा से सबसे पहले बीफ टैलो शब्द का मतलब समझा. बीफ यानी गाय और भैंस के मांस के टुकड़ों पहले काटा जाता है. फिर एक बर्तन में धीमी आंच पर पकाया जाता है. एक निश्चित समय तक पकाने पर उसका फैट निकलता है. इस फैट यानी वसा से मांस के टुकड़े अलग करके उसे स्टोर किया जाता है. अब आइए रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में यानी जहां लिखा है लार्ड. हमने फूड एक्सपर्ट से पूछा कि अगर घी में लार्ड मिला है तो उसका मतलब क्या है? एक्सपर्ट ने बताया कि लार्ड यानी सुअर के मांस से तैयार किया गया फैट.
साधू-संतों में क्रोध की 'अग्नि'
अब समझिए जब भक्तों के कान तक ये बात पहुंची कि जिस लड्डू को उन्होंने भगवान व्यंक्टेश्वर की कृपा और आशीर्वाद समझकर ग्रहण किया था उसमें सुअर और बीफ के मांस से निकाली गई चर्बी का इस्तेमाल हुआ है तो कोहराम मच गया. इतना ही नहीं अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर तिरुपति मंदिर से एक लाख लड्डू अयोध्या पहुंचे थे. लड्डू में जानवरों की चर्बी वाली खबर के बाद से वाराणसी से लेकर अयोध्या तक के साधु संत क्रोध में हैं.
कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
सिर्फ संत बिरादरी ही नहीं बल्कि बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक इस मुद्दे पर अपना रोष दिखा रहे हैं. तिरुपति बालाजी के लड्डू में जानवरों की चर्बी वाले विवाद के बाद केंद्र सरकार भी एक्शन में आ गई है. सवाल ये है कि सारा विवाद कब और कैसे शुरू हुआ? पहले कौन सा घी इस्तेमाल होता था और बाद में कौन सा घी इस्तेमाल होने लगा? नई कंपनी को ठेका कैसे मिला? सीएम चंद्रबाबू नायडू की सरकार इसका ब्योरा भी पेश कर रही है, जबकि दूसरी तरफ पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी ने ना सिर्फ आरोपों को खारिज किया है, बल्कि उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जगन मोहन रेड्डी ने सीएम चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच के लिए एक न्यायिक कमेटी गठित करने की मांग की है.
कब से चल रहा ये गोरखधंधा?
तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाला लड्डू वो प्रसाद है, जिसके बिना दर्शन पूरे नहीं माने जाते. मंदिर का ट्रस्ट हर रोज 3 लाख से ज्यादा लड्डू तैयार करता है, जिसमें हर रोज 10 हजार किलो घी का इस्तेमाल होता है और 200 से ज्यादा ब्राह्मण मिलकर इस लड्डू को बनाते हैं. तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाला एक लड्डू 75 रुपए का होता है, लेकिन जिस लड्डू में कभी कोई शिकायत नहीं मिली थी, उसमें जानवरों की चर्बी वाला घी कब और कैसे इस्तेमाल होने लगा ?
कैसे क्या हुआ उसकी पूरी क्रानोलॉजी समझिए
जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने पिछले साल जुलाई 2023 घी सप्लाई का ठेका 5 कंपनियों को दे दिया. यानि पिछले साल जुलाई महीने से एक कंपनी से लड्डू बनना बंद हो गए थे, लेकिन बाकी कंपनियां 320 रुपए लीटर में मंदिर को घी की सप्लाई कर रही थीं. अब चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी पूछ रही है कि आपको ये बात क्यों नहीं खटकी कि इतने सस्ते दाम में घी कैसे मिल सकता है. जिन पांच कंपनियों को ठेका मिला, उनमें से एक तमिलनाडु की कंपनी को इस साल मई में घी सप्लाई के लिए नया टेंडर मिला. इस कंपनी ने 10 टैंकर्स में घी सप्लाई भी किया. इनमें से 6 टैंकर का इस्तेमाल भी हो चुका था.
आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की जगह चंद्रबाबू नायडू की सरकार आई और लड्डू की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की गई तो सरकार ने दो टैंकर घी इस्तेमाल होने से रोक दिए. फिर इसी घी का सैंपल लेकर लैब में जांच के लिए भेजा गया, जिसमें बीफ टैलो और लार्ड जैसी जानवरों की चर्बी की बात सामने आई है.
रिपोर्ट सामने आने में इतनी देर क्यों?
एसएमएस लैब सर्विस की रिपोर्ट इसी साल जून महीने की है. प्रसाद में जानवरों की चर्बी जैसे गंभीर आरोपों के बाद पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने सामने आए और बताया कि उनकी सरकार ने पिछले कई दशकों से मंदिर में होने वाली टेंडर की तय प्रक्रिया का पालन किया है. कुल मिलाकर तिरुपति बालाजी के मंदिर में प्रसाद में चर्बी का आरोप राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है. हालांकि इस बात का जवाब अभी नहीं मिला है कि अगर मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवर की चर्बी के सबूत वाली लैब रिपोर्ट इसी साल जुलाई महीने में आ गई थी तो उसे सार्वजनिक करने में इतनी देर क्यों की गई और करीब 50 दिन बाद सीएम चंद्रबाबू नायडू ने इसका जिक्र क्यों किया.
न्यायिक कमेटी की मांग
प्रसाद में जानवरों की चर्बी जैसे गंभीर आरोपों के बाद पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने सामने आए और बताया कि उनकी सरकार ने पिछले कई दशकों से मंदिर में होने वाली टेंडर की तय प्रक्रिया का पालन किया है, लेकिन सवाल ये है कि सारा विवाद कब और कैसे शुरू हुआ? पहले कौन सा घी इस्तेमाल होता था और बाद में कौन सा घी इस्तेमाल होने लगा? नई कंपनी को ठेका कैसे मिला? सीएम चंद्रबाबू नायडू की सरकार इसका ब्योरा भी पेश कर रही है जबकि दूसरी तरफ पूर्व सीएम जगनमोहन रेड्डी ने ना सिर्फ आरोपों को खारिज किया है बल्कि उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जगन मोहन रेड्डी ने सीएम चंद्रबाबू नायडू के आरोपों की जांच के लिए एक न्यायिक कमेटी गठित करने की मांग की है.
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