तिरुपति के जिस लड्डू प्रसादम पर देशभर में मचा बवाल, वो मंदिर की रसोई में बनता कैसे है? जानिए
Tirupati laddu In Making: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल घी में बीफ टैलो से देश विदेश में हड़कंप मच गया है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये लड्डू बनता कैसे है. देखे रिपोर्ट
Tirupati laddu In Making: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल घी में बीफ टैलो से संबंधित रिपोर्ट के बाद देश विदेश में हड़कंप मच गया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बीते रविवार को तिरुमला तिरुपति देवस्थानम में घी खरीदने की प्रक्रिया में अनियमिताओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल की घोषणा की.
तिरुपति बालाजी मंदिर में देश-विदेश से लोग देव दर्शन करने आते हैं. हर साल हजारों करोड़ों रुपए का चढ़ावा तिरुपति बालाजी पर चढ़ता है. प्रतिदिन हजारों और लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर के प्रसाद को खरीदते हैं, लेकिन इन सब के बीच जो सवाल उठ रहा है वह यह है कि आखिर तिरुपति बालाजी के मंदिर में यह लड्डू बनाए कैसे जाते हैं?
Discover how the #TirupathiLaddu is made… pic.twitter.com/CKgXNUsi8L
— Harsh Goenka (@hvgoenka) September 24, 2024
कैसे बनता है तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू?
नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में बनाए जाने वाला लड्डू भगवान को हर दिन अर्पित किए जाने वाले नैवेद्यम का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. खास बात यह है कि लड्डू बनाने में किसी भी मशीन का उपयोग नहीं किया जाता है. इसे पूरी तरह से हाथ से बनाया जाता है. लड्डू में बेसन चीनी और घी व मक्खन से बनाया जाता है. टेस्ट के लिए इसके अंदर इलायची और ड्राई फ्रूट्स- काजू और किशमिश जैसे सूखे मेरे डाले जाते हैं.
हर दिन बनते हैं 3000 लड्डू
एक समय था जब लड्डू बनाने का काम मंदिर की पुरानी रसोई के अंदर ही किया जाता था, लेकिन साल 2006 में एक नई रसोई बनाई की गई और फिर मुख्य गर्भगृह के बाहर लड्डू बनाने की तैयारी का काम चलने लगा और दोनों रसोइयों में प्रतिदिन 3000 से ज्यादा लड्डू बनाने का काम चला आ रहा है.
प्रयोगशाला में गुणवत्ता जांच के लिए भेजा जाता है लड्डू
रिपोर्ट के मुताबिक लड्डू के लिए जिन चनो का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें बंगाल ग्राम कहते हैं. इन्हें पीसकर एक गाढ़ा मलाईदार घोल तैयार किया जाता है. उसके बाद डीप फ्राई करते हुए उसकी बूंदी बनाई जाती है. बूंदी बनने के बाद इन्हें एक ट्रे में रखकर अपने गंतव्य स्थान पर भेजा जाता है, जहां पर कमरों को ले जाने की अनुमति नहीं होती है. दूसरी ओर लगभग 200 ब्राह्मण पुजारी इन बूंदियों का इंतजार कर रहे होते हैं क्योंकि वही अपने हाथों से तिरुपति बालाजी के लड्डू बनाते हैं. यह पुजारी रसोई में धार्मिक पवित्रता का इस्तेमाल करते हुए लड्डू को बनाते हैं .इसके बाद यह लड्डू तिरुमला तिरुपति देवस्थानम या फिर टीटीडी की परीक्षण प्रयोगशाला में गुणवत्ता जांच के लिए भेजा जाता है.
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