तिरुपति बालाजी मंदिर मे प्रसाद में मिलावट को लेकर विवाद गर्माया हुआ है. इन सबके बीच साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बताया कि अनजाने में तिरुपति में मिलावटी प्रसाद खा चुके हिंदू कैसे अपराधबोध से मुक्त होंगे?
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा, तिरूपति बालाजी मंदिर में मिलावटी ‘प्रसादम’ को अनजाने में ग्रहण कर चुके हिंदु अपने अपराधबोध से मुक्ति पाने के लिए गंगाजल या गौमूत्र को ग्रहण कर सकते हैं.
क्यों मचा हुआ है बवाल?
दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने पिछले दिनों राज्य की पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया थे. उन्होंने दावा किया था कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति में प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी थी. उनके इस दावे के समर्थन में उनकी पार्टी टीडीपी ने गुजरात की एक लैब की रिपोर्ट भी पेश की थी. इस रिपोर्ट में प्रसाद में मछली के तेल और बीफ टैलो की पुष्टि हुई थी. हालांकि, वाईएसआर ने इन आरोपों से इनकार किया है और जांच की मांग की है.
साधु संतों ने तिरुपति मामले पर जताई नाराजगी
तिरुपति मामले के सामने आने के बाद साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मंगलवार को कहा कि देशभर के मंदिरों में लड्डू आदि की जगह पारंपरिक रूप से भोग के रूप में चढ़ाए जाने वाले इलायची दाना और मिश्री एवं सूखे मेवे ही भक्तों में बांटे जाने चाहिए.
महंत पुरी ने आंध्र प्रदेश के तिरूपति बालाजी मंदिर में ‘प्रसादम’ में मिलावट पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, इससे पूरी दुनिया में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.
घी की शुद्धता की गारंटी ले मंदिर प्रशासन
परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि इस प्रकार का प्रसाद ही सभी मंदिरों में बांटा जाना चाहिए जब तक कि सरकार और मंदिरों का प्रबंधन प्रसाद में मिलाए जाने वाले घी की शुद्धता की गारंटी न ले.
उन्होंने कहा, “पारंपरिक रूप से इलायची दाना, मिश्री और सूखे मेवे ही हिंदु देवी देवताओं को भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं. भक्तों में उन्हें बांटे जाने से प्रसाद में मिलावट की कोई आशंका नहीं रहेगी.”