तिरुपति मंदिर से जुड़े लड्डू विवाद में मोदी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. सोमवार (23 सितंबर, 2024) को स्वास्थ्य मंत्रालय ने घी सप्लाई करने वाली कंपनी को शो कॉज नोटिस (कारण बताने से जुड़ा) थमाया है. केंद्रीय मंत्रालय ने इस मामले में चार कंपनियों से सैंपल लिए थे, जिनमें से एक कंपनी का सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया और उसमें जानवरों की चर्बी होने की बात सामने आई थी.  



दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि तिरुपति में प्रसाद के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लड्डुओं में पशुओं की चर्बी थी. नायडू के इन आरोपों के समर्थन में टीडीपी सरकार द्वारा गुजरात की एक लैब की रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में लड्डुओं में चर्बी की पुष्टि हुई थी. 

चार कंपनियों के लिए गए थे सैंपल, एक का हुआ फेल

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को तिरूपति मामले में चार कम्पनियों के सैंपल प्राप्त हुआ. इसमें से एक कंपनी के चार सैंपल फेल हुए हैं. इसमें से एडल्ट्रेशन का मामला सामने आया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से संबंधित कम्पनी को नोटिस दिया गया है. नोटिस में इस बात का जिक्र है कि जिन मानकों पर खाद्य पदार्थ होना चाहिए था वह मानक नहीं है. कंपनी को एफएसएआई की ओर से भी नोटिस जारी किया गया है. कंपनी तमिलनाडु की है.

जगन मोहन ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

इस मामले में वाईएसआर चीफ और आंध्र के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था. उन्होंने इस पत्र में चंद्रबाबू नायडू को आदतन झूठ बोलने वाला बताया था. पीएम मोदी को लिखे एक पत्र में जगन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने के वास्ते इतने निचले स्तर पर उतर गए हैं. 


जगन ने 8 पृष्ठों के पत्र में आरोप लगाया कि नायडू के कृत्यों ने न केवल मुख्यमंत्री पद की प्रतिष्ठा को गिराया है, बल्कि सार्वजनिक जीवन में सभी लोगों को भी आहत किया है. साथ ही टीटीडी और उसकी परंपराओं की पवित्रता को भी ठेस पहुंचाई है. जगन ने अपने पत्र में लिखा, महोदय, इस समय पूरा देश आपकी ओर देख रहा है. यह बहुत जरूरी है कि नायडू को झूठ फैलाने के उनके बेशर्म कृत्य के लिए कड़ी से कड़ी फटकार लगाई जाए और सच्चाई सामने लाई जाए. इससे करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं के मन में नायडू द्वारा पैदा किये गए संदेह को दूर करने में मदद मिलेगी और टीटीडी की पवित्रता में उनका विश्वास बहाल होगा.