आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजनेताओं से लेकर पुजारी और फिल्मी हस्तियां भी विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस बीच शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने बुधवार (27 सितंबर, 2024) को एक नई मांग रखी है. उनका कहना है कि मंदिरों के प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार के पास नहीं होना चाहिए.


शंकराचार्य ने तिरुपति के लड्डू प्रसाद में मिलावट की निंदा की और कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मंदिरों का प्रशासन सरकारों के हाथ में न होकर एक अलग बोर्ड के हाथ में हो. शंकराचार्य ने मथुरा में गोवर्धन में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही. वह असम के गुवाहाटी से चातुर्मास करने के बाद यहां आए हैं. यहां आदि शंकराचार्य आश्रम पहुंचने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया.


तिरुपति लड्डू विवाद पर उन्होंने कहा, 'यह लोगों की धार्मिक भावनाओं पर सीधा हमला है. दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंदिरों का प्रशासन सरकार के हाथ में नहीं होना चाहिए.


उनसे पहले ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी सनातन बोर्ड बनाए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि राजनितिज्ञों को धर्म के मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण के लिए हम सभी को धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए. शंकराचार्य ने कहा था कि इस घटना से जुड़े दोषियों की जल्द से जल्द पहचान कर उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. 


उधर, तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसाद विवाद के बाद देश के दूसरे मंदिरों ने भी प्रसाद के वितरण में सुधार की मांग की है. उत्तर प्रदेश के अयोध्य में राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने देशभर में बेचे जा रहे तेल और घी की शुद्धता पर सवाल उठाए हैं. कल उन्होंने इसकी जांच की मांग की और कहा कि देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद मंदिर के पुजारियों की देखरेख में ही तैयार किया जाना चाहिए. आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में दिये जाने वाले लड्डू प्रसादम को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु चर्बी की मिलावट को लेकर उठे विवाद के बीच आचार्य सत्येंद्र दास का यह बयान आया है.


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