Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद में कथित मिलावट को लेकर बढ़ते विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के अयोध्या, प्रयागराज और मथुरा से अहम प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, जिसमें मंदिर के प्रसाद की तैयारी और वितरण में सुधार की मांग की गई है. राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने देशभर में बेचे जा रहे तेल और घी की शुद्धता पर सवाल उठाते हुए गुरुवार (26 सितंबर 2024) को इनकी जांच की मांग की और कहा कि देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद मंदिर के पुजारियों की देखरेख में ही तैयार किया जाना चाहिए.


बाहरी प्रसाद पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग


आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में दिये जाने वाले लड्डू प्रसादम को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशु चर्बी की मिलावट को लेकर उठे विवाद के बीच दास का यह बयान आया है. तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद पर टिप्पणी करते हुए आचार्य सत्येंद्र दास ने सभी प्रमुख मठों और मंदिरों में बाहरी एजेंसियों की ओर से तैयार किए जाने वाले प्रसाद पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘तिरुपति बालाजी के प्रसाद में वसा और पशु चर्बी के इस्तेमाल को लेकर विवाद पूरे देश में बढ़ रहा है. संत और भक्त दोनों ही इस पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और जांच की मांग कर रहे हैं.’’ 


देश के सभी मठों और मंदिरों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद मंदिर के पुजारियों की देखरेख में ही तैयार किया जाना चाहिए. उन्होंने देशभर में बिक रहे तेल और घी की शुद्धता की जांच की जरूरत दोहराई और आरोप लगाया कि प्रसाद में वसा और चर्बी मिलाकर देश के मठों और मंदिरों को अपवित्र करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश जारी रही है.


मिठाइयों के बजाय फल, फूल


विवाद के बीच वृंदावन के एक स्थानीय धार्मिक संगठन धर्म रक्षा संघ ने कृष्ण नगरी के मंदिरों में बाजार में मिलने वाली मिठाइयों के बजाय फल, फूल, पंचमेवा, इलायची के बीज और मिश्री जैसे प्राचीन प्रसाद चढ़ाने का फैसला किया है. संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने बुधवार को वृंदावन में आयोजित विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं धर्माचार्यों की बैठक का हवाला देते हुए बताया कि तिरुपति बालाजी मंदिर की घटना के बाद देशभर के मंदिरों की प्रसाद व्यवस्था में बड़े बदलाव किए जाने की आवश्यकता है.


उन्होंने बताया कि मथुरा के मंदिरों में बाजार में मिलने वाली मिठाइयों के बजाय फल, फूल, पंचमेवा, इलायची के बीज और मिश्री जैसे प्राचीन प्रसाद चढ़ाने का फैसला परिक्रमा मार्ग में स्थित श्रीभागवत मंदिरम में महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया.


गौड़ ने बताया कि धर्माचार्यों एवं धार्मिक संगठनों ने बाजार में बनने वाले प्रसाद के स्थान पर हिंदू आस्था के अनुसार प्रसाद चढ़ाने और ग्रहण करने की सनातनी व्यवस्था अपनाने का फैसला किया है. प्रयागराज से मिली खबरों के अनुसार प्रमुख मंदिरों में भी बाहर से मिष्ठान- लड्डू, पेड़े आदि के रूप में प्रसाद लाकर चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है.


इन मंदिरों के महंतों ने भक्तों से फिलहाल प्रसाद के रूप में नारियल, इलायची दाना, सूखे मेवे आदि चढ़ाने का आग्रह किया है, क्योंकि ये शुद्ध होते हैं और इनमें मिलावट की आशंका नहीं होती है. अलोप शंकरी देवी मंदिर के मुख्य संरक्षक और पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव यमुना पुरी महाराज ने कहा, ‘‘52 शक्तिपीठों में से एक अलोप शंकरी देवी मंदिर में संपूर्ण भारत वर्ष से श्रद्धालु आते हैं. फिलहाल श्रद्धालुओं के बाहर से मिष्ठान प्रसाद लाने पर रोक लगाई गई है.’’


लड्डू-पेड़े के प्रसाद पर लगी रोक


उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर का सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा होने पर हम जांच एजेंसी से जांच की व्यवस्था करके मिष्ठान प्रसाद बनवाएंगे और मंदिर परिसर के भीतर ही न्यूनतम मूल्य पर लोगों को शुद्ध प्रसाद उपलब्ध कराएंगे.’’ संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर के संरक्षक और श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के महंत बलबीर गिरि जी महाराज ने कहा, ‘‘मंदिर का कॉरिडोर निर्माण पूरा होने के बाद बड़े हनुमान मंदिर के लिए लड्डू-पेड़े के प्रसाद, मंदिर प्रबंधन स्वयं बनवाएगा.’’


यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा, ‘‘तिरुपति विवाद के बाद हमने मनकामेश्वर मंदिर में बाहर से प्रसाद लाने पर रोक लगा दी है. हमने मंदिर के बाहर लगी दुकानों में उपलब्ध लड्डू-पेड़े की जांच कराने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘जब तक जांच में मिष्ठान की शुद्धता स्पष्ट नहीं हो जाती, इन्हें मंदिर में चढाने की अनुमति नहीं होगी. हम लोग वैसे भी मिठाई से ज्यादा फलों पर विश्वास करते हैं.’’ प्रयागराज की प्रसिद्ध ललितादेवी मंदिर के मुख्य पुजारी शिव मूरत मिश्र ने कहा, ‘‘हमारे मंदिर प्रबंधन की मंगलवार को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मंदिर में मिष्ठान प्रसाद देवी को भोग नहीं लगाया जाएगा, बल्कि भक्तों से नारियल, फल, सूखे मेवे, इलायची दाना आदि चढाने का आग्रह किया गया है.’’


उन्होंने कहा कि भविष्य में योजना है कि मंदिर परिसर में ही दुकानें खोली जाएं जहां भक्तों को शुद्ध मिष्ठान प्रसाद उपलब्ध हो.  इससे पहले सोमवार को लखनऊ के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर ने भी श्रद्धालुओं द्वारा बाहर से खरीदे जाने वाले प्रसाद पर रोक लगा दी थी और कहा था कि वे घर का बना प्रसाद या फल चढ़ा सकते हैं. मंदिर प्रबंधन ने कहा कि वह मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठा रहा है. इसके साथ ही मंदिर की गुणवत्ता की जांच करने और संभावित रूप से प्रसाद उत्पादन की अपनी सुविधाएं स्थापित करने की योजना है. 


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