नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली दिल्ली पुलिस आज धरने पर है. तीस हजारी मामले में इंसाफ की गुहार लगा रही दिल्ली पुलिस के इस धरने को करीब 10 घंटे का समय हो चुका है. जाहिर है कि दिल्ली पुलिस बीते सालों में कई धरनों का गवाह रही है. लेकिन इस बार मामाल उनके खुद से जुड़ा हुआ है. उनका आरोप है कि तीस हजारी कोर्ट के वकीलों ने उनके साथ मारपीट की है. इस मामले में न्याय होनी चाहिए. स्पेशल कमिश्नर ने धरना खत्म करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि आपकी मांगों को ध्यान में रखा जाएगा.

पुलिस की क्या मांगे हैं?


पुलिस की मांग है कि तीस हजारी कोर्ट मामले में जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई है उसे वापस लिया जाए. इसके साथ ही मारपीट करने वाले वकीलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. सूत्रों के मुताबिक जिन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हाई कोर्ट ने कार्रवाई करने को कहा था, कल दिल्ली पुलिस सुनवाई के दौरान कोर्ट से अपील करेगी कि उनके खिलाफ जांच होने तक कोई कार्रवाई न की जाए. तीस हजारी के मामले के अलावा अन्य मामलों में गिरफ्तारी की अनुमति भी हाईकोर्ट से मांगेंगे.


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दिल्ली पुलिसकर्मियों को मिला इनका समर्थन


बिहार के तमाम पुलिसकर्मी दिल्ली पुलिस के नैतिक समर्थन किया है. बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने कहा कि तीस हजारी कोर्ट में जो घटना घटी है वे उसकी पूर्ण रूप से भर्त्सना करता हैं. ये बेहद ही निंदनीय घटना है. सरकार से हमारी मांग है न्यायपालिका और केंद्र सरकार इसका हल निकाले और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करे. आईपीएस एसोसिएशन ने भी इस घटना की निंदा की है. तमिलनाडू आईपीएस एसोसिएशन भी पुलिसवालों के साथ मारपीट की निंदा की है.


बीते सालों में धरने की कहानी


दिल्ली में धरनों का अपना इतिहास रहा है. रामलीला मैदान और जंतर मंतर जैसे स्थान इसका गवाह रहे हैं. चाहे सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकना हो या फिर कोई जन आंदोलन हो दिल्ली ने बहुत कुछ देखा है. अगर पिछले एक दशक में हुए घरनों का जिक्र किया जाए तो इसमें अन्ना आंदोलन और निर्भया आंदोलन की चर्चा पूरे देश में हुई थी. अप्रैल 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन हुआ था. जनलोकपाल की मांग की गई थी. इस आंदोलन से ही अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास जैसे चेहरे निकले. बाद में दिसंबर 2013 में केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.


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साल 2012 में दिल्ली में निर्भया गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस घटना के विरोध में लोग सड़क पर उतरे. कई दिनों तक दिल्ली की सड़कों पर लोगों ने नारे लगाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. समाज के सभी वर्गों ने इसमें हिस्सा लिया. इसके अलावे कई किसान संगठनों ने भी बीते दशक में दिल्ली में घरना दिया और सरकार से अपने लिए हक की मांग की. छात्र भी अपनी मांग के साथ सड़कों पर उतरे. जाहिर है दिल्ली पुलिस इन सभी धरनों का गवाह रही है.


धरने को लेकर क्या है नियम?


किसी भी संगठन या आम जन समूह को धरना देने से पहले पुलिस से इसके लिए इजाजात लेनी पड़ती है. पुलिस को धरने के पीछे की वजह बतानी होती है. धरने के दौरान मार्च किया जाता है या फिर एक जगह इकट्ठा होकर इसका आयोजन किया जाता है. पुलिस को जगह और समय दोनों की पूरी जानकारी देनी होती है. तब जाकर पुलिस इसके लिए इजाजत देती है, वो चाहे तो इजाजत नहीं भी दे सकती है. ये उसके विवेक पर निर्भर करता है.


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