कोलकाता: केरल और पंजाब के बाद अब पश्चिम बंगाल सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने जा रही है. मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, ''पश्चिम बंगाल विधानसभा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव पारित करेगी.''


राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है. कांग्रेस की सरकार ने 24 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. कांग्रेस-टीएमसी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां लगातार सीएए का विरोध कर रही हैं. इसी सिलसिले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी 28 जनवरी को जयपुर में सीएए के खिलाफ रैली करेंगे.


वहीं केंद्र सरकार और बीजेपी राज्यों के रुख को असंवैधानिक बता रही है. रविवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह कहना कि वे (राज्य) सीएए लागू नहीं करेंगे, कानून के खिलाफ है. ऐसा कहना असंवैधानिक है.


NPR पर ममता बनर्जी ने उठाए सवाल
ममता बनर्जी ने पूर्वोत्तर और गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद में शामिल होने से पहले इसके विवरण खंडों का संज्ञान लें. ममता बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को ‘‘खतरनाक खेल’’ करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है.


उन्होंने कहा, ‘‘मैं बीजेपी शासित पूर्वोत्तर-त्रिपुरा, असम, मणिपुर, अरुणाचल और विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों से अपील करूंगी कि वे निर्णय पर पहुंचने से पहले कानून को ठीक तरह से पढ़ें और एनपीआर फॉर्म के विवरण खंडों का संज्ञान लें.’’


मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं उनसे इस (एनपीआर) कवायद में शामिल न होने का आग्रह करती हूं क्योंकि स्थिति बहुत बुरी है.’’ बनर्जी ने कहा कि उन्हें मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि माता-पिता के एनपीआर फॉर्म में जन्मस्थान से जुड़ा कॉलम भरना अनिवार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि यह अनिवार्य नहीं है तो फिर इस कॉलम को फॉर्म में क्यों रखा गया है? इन सवालों को हटाने का प्रयास किया जाना चाहिए.


मुख्यमंत्री ने सिलीगुड़ी के लिए रवाना होने से पहले दावा किया, ‘‘यदि यह कॉलम फॉर्म में बरकरार रहता है तो इसे न भरने वाले अपने आप बाहर हो जाएंगे. ऐसी आशंका है....’’ ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में अगले चार दिन तक संशोधित नागरिकता कानून विरोधी रैलियों का नेतृत्व करेंगी.