TMC vs Congress: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी के तीन दिवसीय गोवा दौरे से पहले टीएमसी ने कांग्रेस पर हमला बोला है. टीएमसी (TMC) के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा गया कि कांग्रेस ट्वीट्स तक सीमित है. टीएमसी के मुखपत्र 'जागो बांग्ला में कांग्रेस पर आरोप लगाया गया कि कांग्रेस ने गठबंधन बनाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है. 2014, 2019 लोकसभा में कांग्रेस डूब गई. देश के लिए आंदोलन करने की बजाय कांग्रेस अपनी ही समस्याओं से परेशान है. मुखपत्र में छपे इस लेख के जरिये पार्टी ने यह भी साफ कर दिया कि वह अपने पार्टी का विस्तार जारी रखेगी.
टीएमसी का कांग्रेस पर आरोप
टीएमसी (TMC) के मुखपत्र 'जागो बांग्ला' में कहा गया कि आप कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते. हम अपनी ताकत बढ़ाना जारी रखेंगे. टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को पहले अंदर के मामले को सुलझाना चाहिए. कांग्रेस को एक बार 446 सीटें मिली थीं और अगर वह 44 पर नहीं आती तो 2014 में मोदी सरकार वहां अपनी जड़ें जमा नहीं पाती. कांग्रेस को पहले अपना घर, अपना नेतृत्व और आपस में टकराव को संभालना होगा. टीएमसी बीजेपी को हटाने में सबसे आगे है. आपको इस बात से सहमत होना होगा कि पिछले 7 वर्षों में कांग्रेस बीजेपी से नहीं लड़ पा रही है और कांग्रेस हार रही है जबकि टीएमसी जहां बीजेपी से लड़ रही है, वहां टीएमसी जीत रही है. यही अंतर है.
बीजेपी पर लगाए आरोप
टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के गोवा दौरे से दो दिन पहले, तृणमूल कांग्रेस के पोस्टर और सीएम के चेहरे वाले होर्डिंग्स को तोड़ दिया गया था और उनकी छवि पर काला रंग लगाया गया था. तृणमूल कांग्रेस ने 26 अक्टूबर को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और उनके मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने की मांग की थी, जब पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने बीजेपी शासन के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. टीएमसी ने गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई को अपना ज्ञापन सौंपकर कोविड -19 महामारी के दौरान सावंत प्रशासन द्वारा की गई खरीद और खर्च पर एक श्वेत पत्र की मांग की. टीएमसी का कहना है कि गोवा सरकार को कोविड -19 महामारी के दौरान खरीद और व्यय के संबंध में एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. सरकारी संस्थानों में लोगों के विश्वास को बहाल करने के लिए इस समय यह पारदर्शिता अहम है.
गोवा में टीएमसी का बड़ा दुश्मन कौन?
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने निकट भविष्य में अपने प्रमुख विरोधी के रूप में कांग्रेस को नहीं बल्कि बीजेपी को चुना है. कम से कम पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस के खिलाफ चल रहे हमले और चौतरफा अभियान तो यही संकेत दे रहे हैं. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी के दूसरे कई नेता लोकतंत्र को कमजोर करने का बीजेपी पर आरोप लगाते रहे हैं. इसके साथ ही टीएमसी की ओर से कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में विफल करार दिया गया है. ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान कर रही हैं लेकिन ऐसा लगता है कि ममता फिलहाल बीजेपी के पीछे जाने के बजाय कांग्रेस को तोड़ने पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं. कई कांग्रेस नेताओं का टीएमसी में आना इसका एक उदाहरण है. लेकिन दूसरी महत्वपूर्ण रणनीति जो तृणमूल ने अपनाई है, वह है प्रतिस्पर्धी राजनीति. पार्टी उन राज्यों में प्रवेश कर रही है जहां कांग्रेस बीजेपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी है. ऐसा करके वह बीजेपी को टक्कर देने से पहले पहले कांग्रेस को सीधे तौर पर चुनौती दे रही है.
बहरहाल हालात ऐसे हो गए हैं कि त्रिपुरा और गोवा में, जहां कांग्रेस के पास बीजेपी के खिलाफ एक उज्ज्वल संभावना है, टीएमसी ने पहले ही प्रवेश कर लिया है. त्रिपुरा और गोवा दोनों में कांग्रेस की हालत खराब होती दिख रही है. पार्टी के नेता तृणमूल जैसे हरियाली वाले चरागाहों पर नजर गड़ाए हुए हैं, और तृणमूल भी दलबदलुओं के लिए अपने दरवाजे खोल रही है. महत्वपूर्ण पदों और बड़ी जिम्मेदारियों के साथ उनका स्वागत करना सुनिश्चित किया जा रहा है. कांग्रेस से टीएमसी में शामिल हुई सुष्मिता देव को राज्यसभा भेजा गया. गोवा के लुइज़िन्हो फलेरियो को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं, कमलापति त्रिपाठी के पोते और प्रपौत्र राजेशपति और ललितेशपति त्रिपाठी को टीएमसी का संयोजक और प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा.
Coronavirus Cases Today: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 16 हजार नए केस दर्ज, 733 की मौत