नई दिल्ली: खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट से मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है. रिपोर्ट में आवश्यक वस्तु कानून 2020 को लागू करने की सिफारिश की गई है. जिन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है, आवश्यक वस्तु कानून भी उनमें से एक है.


सबसे बड़ी बात ये है कि संसदीय समिति के अध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद सुदीप बंदोपाध्याय हैं. तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार तीनों कृषि कानूनों के मसले पर किसान संगठनों की मांग का समर्थन कर रही हैं.


समिति की रिपोर्ट में क्या गया
समिति ने शुक्रवार को संसद में आवश्यक वस्तुओं की कीमत और महंगाई को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनाज उत्पादन के मामले में सरप्लस उत्पादन के बावजूद किसानों को बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता क्योंकि कोल्ड स्टोरेज, गोदाम और निर्यात के क्षेत्र में निवेश का अभाव है. कमिटी ने माना है कि निवेश का अभाव इसलिए है क्योंकि आवश्यक वस्तु कानून 1955 में कई बंदिशों के चलते निवेशक दूर भागता है.


किसी भी संसदीय समिति की तरह इस समिति में भी अध्यक्ष और बाकी सदस्य अलग-अलग पार्टियों से संबंध रखते हैं. इनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी समेत कुछ अन्य दलों के सांसद भी शामिल हैं.


दो सदस्यों ने रिपोर्ट से खुद को अलग किया
रिपोर्ट आने के बाद अब इसपर विवाद शुरू हो गया है. कम से कम दो सदस्यों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर अपने आप को इस रिपोर्ट से अलग कर लिया है. ओडिशा से कांग्रेस के लोकसभा सांसद सप्तगिरि उलाका और केरल से कांग्रेस के सांसद राजमोहन उन्नीथन ने ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा है कि दोनों समिति की उस बैठक में मौजूद नहीं थे जब इस रिपोर्ट के मसौदे को समिति ने मंजूर किया.


हालांकि कमिटी की रिपोर्ट में उस बैठक में उपस्थित सदस्यों की जानकारी दी गई है जिसमें रिपोर्ट मंजूर की गई. 18 मार्च को संसद भवन एनेक्सी में हुई उस बैठक में कमिटी के 31 में से 16 सदस्य मौजूद थे. मौजूद सांसदों में सप्तगिरि उलाका का भी नाम शामिल है. लेकिन राजमोहन उन्नीथन का नाम नहीं शामिल है. उस बैठक में कमिटी के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय भी मौजूद नहीं थे, लेकिन नियम के मुताबिक सभी मौजूद सदस्यों की सहमति से बीजेपी सांसद अजय टेनी मिश्रा को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर बैठक पूरी की गई.


जो विपक्षी सांसद इस बैठक में मौजूद थे उनमें सप्तगिरि उलाका के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और आम आदमी पार्टी के भगवंत मान शामिल हैं. तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रिपोर्ट को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने धोखे से सुदीप बंदोपाध्याय की अनुपस्थिति में रिपोर्ट पर कमिटी की मुहर लगवा ली. वैसे सुदीप बंदोपाध्याय इसके पहले भी कमिटी की बैठकों में जब जब अनुपस्थित रहे, तब उनकी जगह किसी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर कमिटी की बैठक संपन्न की गई. हालांकि संसद में पेश की गई रिपोर्ट सुदीप बंदोपाध्याय के नाम से ही पेश की गई है.


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