'मणिपुर को लेकर सवाल पूछना गलत नहीं, रिकॉर्ड में शामिल करें पूरा भाषण'- TMC सांसद ने सभापति को लिखी चिट्ठी
Manipur Violence: राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ-ब्रायन के भाषण के कुछ हिस्सों को कार्यवाही से हटा दिया गया था. जिसमें उन्होंने मणिपुर को लेकर सवाल उठाए थे.
Manipur Violence: तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को एक चिट्ठी लिखकर मांग की है कि सदन में 20 जुलाई को दिए गए उनके पूरे भाषण को सदन की कार्यवाही में रखा जाए, क्योंकि उन्होंने मणिपुर में चिंताजनक स्थिति पर सरकार से ‘सही’ सवाल किया था. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता के भाषण के कुछ हिस्सों को कार्यवाही से हटा दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने सभापति से उनके भाषण के बाकी हिस्सों को भी कार्यवाही में जोड़ने की अपील की है.
सही सवाल पूछने की थी कोशिश- टीएमसी सांसद
टीएमसी सांसद डेरेक ओ-ब्रायन ने कहा, ‘‘पीठासीन अधिकारी के विवेक का इस्तेमाल करते हुए 20 जुलाई 2023 को मेरे व्यवस्था के सवाल के तहत उठाए गए मुद्दों के शब्दों को हटा दिया गया. 20 जुलाई, 2023 को मेरी तरफ से उठाया गया व्यवस्था का सवाल राज्यसभा में सबसे बड़े विपक्षी दलों में से एक के रूप में, मणिपुर राज्य में खतरनाक और तनावपूर्ण कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री और सरकार से विधिवत और सही सवाल करने का एक प्रयास था.’’
'भाषण में कुछ भी नहीं था गलत'
टीएमसी सांसद ने कहा, ‘‘मेरी तरफ से उठाया गया बिन्दु और उसमें पूछे गए सवाल लोकतंत्र के वास्तविक सार के भीतर थे और इसमें ‘असंसदीय’ कुछ भी नहीं था. मैंने सिर्फ प्रधानमंत्री से संसद में मणिपुर पर बोलने के लिए कहा था.’’डेरेक ने कहा कि पिछले साल लोकसभा सचिवालय ने एक पुस्तिका जारी की थी जिसमें उन शब्दों और अभिव्यक्तियों को सूचीबद्ध किया गया था जिन्हें ‘असंसदीय’ माना जाना चाहिए. इसमें आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द जैसे शर्मिंदा, गाली-गलौज, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड और अक्षम शामिल हैं.
विपक्ष को दबाने की कोशिश का आरोप
उन्होंने इस पर आगे कहा, ‘‘उपरोक्त बातों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट होता है कि इस सूची में ऐसे शब्दों की भरमार है जिनका हाल के वर्षों में विपक्ष ने केंद्र सरकार का वर्णन करने के लिए स्पष्ट रूप से इस्तेमाल किया है.’’ तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल किए गए शब्दों को ‘संघ विरोधी’ या ‘असंसदीय’ घोषित करना विपक्ष को दबाने की कोशिश है. उन्होंने कहा, ‘‘समस्या ये नहीं है कि संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं देता है, बल्कि ये है कि इस तरह के व्यापक कानूनों के संयोजन के कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चुप कराना आसान है.’’
बता दें कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही मणिपुर की स्थिति विपक्ष और सरकार के बीच विवाद का विषय बनी हुई है. इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है और सरकार से जवाब मांगा जा रहा है.
(इनपुट- भाषा)
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