'50 फीसदी बढ़ने जा रहा वंदे भारत का किराया', TMC सांसद का दावा सच या झूठ, जानें
Saket Gokhale on Indian Railway: टीएमसी सांसद साकेत गोखले के दावे के जवाब में रेल मंत्रालय ने साफ किया कि किसी ट्रेन की कुल लागत की गणना प्रति कोच की लागत को कोचों की संख्या से गुणा करके की जाती है.
Saket Gokhale on Indian Railway: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने सोमवार (16 सितंबर 2024) को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल 58,000 करोड़ रुपये की परियोजना में बदलाव करके वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के निर्माण की लागत में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है. हालांकि, इसके जवाब में रेल मंत्रालय ने टीएमसी सांसद गोखले के दावों को सिरे से खारिज कर दिया. इस दौरान रेलवे मंत्रालय ने राज्यसभा सांसद से "गलत सूचना और फर्जी खबरें फैलाना बंद करने" को कहा.
टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने 'एक्स' में पोस्ट लिखी. जिसमें उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन बनाने के लिए ₹58,000 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव किया है और ट्रेनों की संख्या घटाकर 133 कर दी गई है. उन्होंने कहा, "पहले जिस ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये थी, उसकी लागत अब 436 करोड़ रुपये होगी. यह केवल एसी कोच वाली ट्रेन है, जिसे गरीब लोग वहन नहीं कर सकते." केंद्र पर हमला बोलते हुए राज्यसभा सांसद ने पूछा कि वंदे भारत के कॉन्ट्रैक्ट में 50 प्रतिशत लागत वृद्धि से किसे फायदा हो रहा है?
जानिए रेलवे ने राज्यसभा MP को क्या दिया जवाब?
हालांकि, साकेत गोखले के दावे के जवाब में रेल मंत्रालय ने पोस्ट पर रिप्लाई किया है. जिसमें रेलवे ने सफाई देते हुए कहा, "कृपया गलत सूचना और फर्जी खबरें फैलाना बंद करें." किसी ट्रेन के कोच की संख्या से गुणा की गई प्रति कोच लागत ट्रेन की लागत के बराबर होती है. स्लीपर परियोजना के लिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रति कोच लागत सभी उद्योग मानकों से कम है, जिसका श्रेय पूरी खरीद प्रक्रिया में बरती गई पारदर्शिता को जाता है.
Important:
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) September 16, 2024
Modi Govt has revised the ₹58,000 crores contract for making Vande Bharat sleeper trains
A train that cost ₹290 crores earlier will now cost ₹436 crores
This is a train with ONLY AC coaches that poor cannot afford.
Who is benefiting from this 50% cost increase… pic.twitter.com/sR8qLgK7DK
भारतीय ट्रेन में यात्रा की मांग है बहुत ज्यादा
रेलवे मंत्रालय का कहना है कि हमने लंबी ट्रेनें बनाने के लिए कोचों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 कर दी है, जिससे कॉन्ट्रैक्ट में कुल कोचों की संख्या स्थिर बनी हुई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रेन यात्रा की मांग बहुत ज्यादा है. शुरुआत के कॉन्ट्रैक्ट में 16 कोच वाली 200 ट्रेनें शामिल थीं, यानी कुल 3,200 कोच. मंत्रालय ने बताया कि बदले हुए कॉन्ट्रैक्ट में अब 24 कोच वाली 133 ट्रेनें शामिल हैं, यानी कुल 3,192 कोच.
यात्रा की बढ़ती मांग पर बना रहे 12 हजार नॉन एसी कोच- रेलवे
मंत्रालय के अनुसार, ट्रेनों के कुल कॉन्ट्रैक्ट की कीमत अब वास्तव में कम हो गई है, क्योंकि ट्रेन की लंबाई बढ़ाने पर बचत होती है. हम रेलवे यात्रा की बढ़ती मांग को देखते हुए रिकॉर्ड संख्या में नॉन एसी कोच (12000) बना रहे हैं.
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