ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी! संसद में सयानी घोष ने पीएम मोदी को लेकर क्या कहा, जो तालियां बजाने लगे विपक्षी सांसद?
Parliament Winter Session 2024: तृणमूल कांग्रेस की सांसद ने केंद्र सरकार पर बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कई डायलॉग मारे
Parliament Winter Session 2024: लोकसभा का शीतकालीन सत्र के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार (16 दिसंबर 2024) को महंगाई, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा. केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए सियानी घोष ने कहा, "विश्वगुरु (पीएम मोदी) महंगाई संकट का समाधान क्यों नहीं कर पा रहे हैं." इस दौरान उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए दिए गए पैसे, बेरोजगारी आदि पर भी बात की.
'ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी...'
टीएमसी सांसद ने ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी वाले डायलॉग से अपना भाषण शुरू किया, जिसके बाद संसद में तालियां बजने लगी. उन्होंने कहा, "आम आदमी आज हवाई चप्पल पहनकर हवाई जहाज नहीं चढ़ रहा, बल्कि वो हवाई चप्पल बेचकर चढ़ रहा है. नये भारत में आजकल ट्रेन पटरी के ऊपर कम और पटरी के बाहर ज्यादा चलती है. भारत की जनता इतनी भूखी है कि खाने को धोखा भी खा लेती है. युवा मुझसे पूछते हैं कि पीएम मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था, यानी कि 10 साल में 20 करोड़ नौकरी, उनका क्या हुआ. मैं उन युवाओं को यही कह पाती हूं कि पत्ते तो झड़ते हैं, लेकिन उठाता है कोई-कोई, वादे तो सभी करते हैं, निभाता है कोई-कोई."
महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा
महंगाई पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "टमाटर की कीमत 247 फीसदी बढ़ गई. आलू की कीमत 180 फीसदी, तेल, नमक, आटा की कीमत 18 फीसदी बढ़ गई. अब लोग झोली में पैसा लेकर जाते हैं और जेब में आलू-टमाटर भरकर घर लाते हैं." वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महंगाई को वैश्विक समस्या बताया था, इसपर टीएमसी सांसद ने तंज कसते हुए कहा, विश्व गुरु, विश्व बंधु इस अंतरराष्ट्रीय समस्या का सामाधान क्यों नहीं कर पा रहे हैं. देश 74 फीसदी लोग हेल्दी डाइट नहीं ले पा रहे हैं."
तृणमूल कांग्रेस की सांसद ने कहा, "प्रधानमंत्री कहते हैं सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, अगर ऐसा है तो फिर आज के दिन लोग भारत छोड़कर क्यों जा रहे हैं. साल 2018-23 के बीच 6 लाख 70 हजार भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी. सिर्फ 2022 में ये संख्या करीब 2.25 लाख थी. बंगाल के साथ तो इनका ऐसा रिश्ता है कि वोट है तो नोट है, वरना नहीं."
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