Explained: रासायनिक उर्वरकों पर लगेगी लगाम, कमाल करेगा पीएम प्रणाम
PM PRANAM: केंद्र सरकार का एक स्कीम लॉन्च करने का इरादा है. इसे पीएम प्रणाम (PM PRANAM) नाम दिया जाएगा. इसका मकसद खेती में रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertiliser) के इस्तेमाल को कम करना है.
PM PRANAM: केंद्र सरकार का इरादा कामयाब हुआ तो जल्द ही देश में खेती में अनाज उगाने में रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertiliser) के इस्तेमाल में कमी आएगी. राज्यों को प्रोत्साहित करके रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करने के लिए, केंद्र सरकार ने एक नई योजना पीएम प्रणाम (PM Pranam) शुरू करने की योजना बनाई है. इस योजना का पूरा नाम पीएम कृषि प्रबंधन योजना के लिए वैकल्पिक पोषक तत्वों का संवर्धन (PM Promotion Of Alternate Nutrients For Agriculture Management Yojana) है.
आखिर ये पीएम प्रणाम योजना क्या है जिसके सरकार के जल्द ही पेश किए जाने की संभावना है. इसे लेकर आपके जेहन में भी सवाल तैर रहे हैं तो इन सवालों के जवाब यहां तलाशिए.
पीएम प्रणाम योजना है क्या?
सरकार पीएम प्रणाम योजना का अलग बजट नहीं रखेगी. इसे उर्वरक विभाग (Department Of Fertilisers) की चलाई जा रही योजनाओं के तहत मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत (Savings Of Existing Fertiliser Subsidy) से ही वित्तपोषित किया जाएगा. ये प्रस्तावित योजना बीते कुछ वर्षों में उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर सरकार के फोकस पर भी सही बैठती है.इस प्रस्तावित योजना का मकसद रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilisers) पर सब्सिडी के बोझ को कम करना है.
रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी बीते साल की तुलना में 1.62 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2022-2023 में 2.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. बीते साल के मुकाबले ये सब्सिडी (Subsidy) 39 फीसदी अधिक है.इसके अलावा उर्वरकों के मामले में पैसे बचाने वाले राज्य को 50 फीसदी सब्सिडी बचत को अनुदान के तौर पर दिया जाएगा. सूत्रों की माने तो इस योजना के तहत दिए गए अनुदान का 70 फीसदी संपत्ति बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है. बशर्ते कि ये वैकल्पिक उर्वरकों की तकनीकी अपनाने और ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक उत्पादन इकाइयां लगाने का काम हो.
बाकी बची 30 फीसदी अनुदान राशि (Grant Money) का इस्तेमाल उर्वरकों के इस्तेमाल में कमी और जागरूकता लाने में शामिल संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा सकता है. इन संगठनों में किसानों,पंचायतें, किसान उत्पादक संगठन और स्वयं सहायता समूह आते हैं. एक सूत्र के मुताबिक सरकार एक साल में यूरिया की बढ़ोतरी या कमी की तुलना बीते तीन साल के दौरान यूरिया की औसत खपत से करेगी. इसके लिए उर्वरक मंत्रालय के डैशबोर्ड, आईएफएमएस (एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली) पर मौजूद डेटा का इस्तेमाल इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए किया जाएगा
कितने उर्वरक की जरूरत है भारत को?
जून-अक्टूबर का खरीफ मौसम (Kharif Season) भारत की खाद्य सुरक्षा को पक्का करने के लिए अहम है. इस सीजन में पूरे साल के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लगभग आधा इसी सीजन में पैदा होता है. यहीं नहीं एक तिहाई दालें और दो तिहाई तिलहन का उत्पादन इसी सीजन में किया जाता है. यही वजह है कि इस मौसम के लिए उर्वरक की एक बड़ी मात्रा की जरूरत होती है. कृषि और किसान कल्याण विभाग (Department OF Agriculture And Farmers Welfare) हर साल फसल के मौसम की शुरुआत से पहले उर्वरकों की आवश्यकता का आकलन करता है. इसके बाद उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय को सूचित करता है.
यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि आवश्यक उर्वरक की मात्रा हर महीने मांग के अनुसार बदलती रहती है. आमतौर पर इनकी मात्रा फसल की बुवाई के वक्त पर आधारित होती है. हालांकि उर्वरक की मात्रा एक इलाके से दूसरे इलाके में अलग होती है. उदाहरण के लिए, यूरिया की मांग जून-अगस्त की अवधि के दौरान चरम पर होती है. उधर दूसरी तरफ मार्च और अप्रैल में यूरिया की ये मांग अपेक्षाकृत कम होती है. तब इन दो महीनों का इस्तेमाल सरकार खरीफ मौसम के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक तैयार करने के लिए करती है.
साल दर साल बढ़ रही है उर्वरक की मांग
केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ( Bhagwanth Khuba) के लोकसभा को दिए गए एक लिखित जवाब के मुताबिक साल 207-18 और साल 2021-22 में अहम चार उर्वरकों की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इन चार अहम उर्वरकों में यूरिया (Urea), डीएपी (Di-ammonium Phosphate), एमओपी (Muriate Of Potash), एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) शामिल हैं. इन चार उर्वरकों की कुल आवश्यकता में 2017-2018 और 2021-2022 के बीच 21 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. साल 2017- 18 में 528.86 लाख मीट्रिक टन (LMT) से बढ़कर ये 2021-2022 में 640.27 लाख मीट्रिक टन पहुंच गई है.
सरकार बढ़ती मांग को देखते हुए रासायनिक उर्वरकों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में भी बढ़ोतरी कर रही है. इसके लिए सरकार ने 2021-22 केंद्रीय बजट 79,530 करोड़ रुपये की राशि का बजट रखा था. ये संशोधित अनुमान-आरई (Revised Estimates-RE) में बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि साल 2021-22 में उर्वरक सब्सिडी का आखिरी आंकड़ा 1.62 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.चालू वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपये उर्वरक सब्सिडी के लिए आवंटित किए हैं, लेकिन उर्वरक मंत्री ने कहा है कि इस साल के दौरान उर्वरक सब्सिडी का आंकड़ा 2.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. पीएम प्रणाम रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल को कम करना चाहता है. उम्मीद जताई जा सही है कि इस योजना से सरकारी खजाने पर बोझ भी कम होगा. ये प्रस्तावित योजना बीते कुछ साल में उर्वरकों या वैकल्पिक उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के सरकार के फोकस पर भी सटीक बैठती है.
कब होगा पेश पीएम प्रणाम
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय (Union Ministry Of Chemicals And Fertilisers) के शीर्ष अधिकारियों ने पीएम प्रणाम का विचार दिया था. इन अधिकारियों ने 7 सितंबर को आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पीएम प्रणाम प्रस्तावित योजना के बारे में जानकारी भी साझा की थी.
ये सम्मेलन राज्य सरकार के अधिकारियों के रबी अभियान (Rabi Campaign) के लिए कृषि पर आधारित था. मंत्रालय ने पीएम प्रणाम की खासियतों पर इन शीर्ष अधिकारियों से सुझाव भी मांगे हैं. सूत्रों की माने तो मंत्रालय ने इस प्रस्तावित योजना पर अंतर-मंत्रालयी चर्चाएं शुरू कर दी हैं. इसके साथ ही इससे संबंधित विभागों के विचारों को शामिल करने के बाद इसका मसौदा तैयार किया जाएगा.
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