Power Crisis in MP: मध्य प्रदेश में जारी बिजली संकट के बीच ऊर्जा मंत्री प्रद्यूमन सिंह तोमर ने इस बात का दावा किया है कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में बिजली संकट कम है. उन्होंने बताया ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी सरकार कोयले की आपूर्ति के लिये लगातार काम कर रही है. रेलवे की रैक से कोयला आ रहा है. साथ ही ट्रकों की मदद से भी कोयला पावर प्लांट में पहुंच रहा है. तीस लाख मीट्रिक टन कोयले को ख़रीदने के लिये देश और विदेश में टेंडर भी निकाल दिये हैं. 


ऊर्जा मंत्री ने इस बात का दावा किया कि फ़िलहाल मध्य प्रदेश के कोयला प्लांट के पास मौजूदा समय पौने तीन लाख मीट्रिक टन कोयला है जो चार से छह दिन तक चलेगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोयले के रोज़ दस से बारह रेलवे के रैक से कोयला आ रहा है इसलिये चिंता की कोई बात नहीं है. प्रदेश में हो रही बिजली कटौती से मंत्री प्रद्यूमन सिंह तोमर ने इनकार किया और बताया कि बिजली की मांग अप्रैल महीने में 6 से 13 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिसकी वजह से मध्य प्रदेश की जनता को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मगर रोज़ 11 हज़ार से 12 हज़ार मेगावाट की मांग को लेकर बिजली आपूर्ति सरकार कर रही है. मंत्री ने दावा किया कि प्रदेश की जनता को बिजली संकट से दूर रखा जाएगा.


ऐसी है मध्य प्रदेश में बिजली की मांग और आपूर्ति
24 अप्रैल को मध्य प्रदेश में बिजली की पीक सप्लाई 12386 मेगावाट थी. जबकि बिजली की डिमांड 14000 मेगावाट के आसपास थी. बिजली के क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक, अगर डिमांड-सप्लाई का आंकड़ा देखें तो मध्य प्रदेश में फिलहाल प्रतिदिन 1000 से 1500 मेगावाट बिजली की कमी है.


प्रदेश में विद्युत की मांग और आपूर्ति के संबंध में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि नागरिकों को बिना बाधा के विद्युत आपूर्ति मिलती रहे. पारम्परिक ऊर्जा उत्पादन के साथ ही नवकरणीय ऊर्जा के साधनों का भी उपयोग किया जाए. 


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