कर्नाटक में वोटों की गिनती जारी है और बीजेपी बहुमत के करीब दिख रही है. अगर कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनती है तो इसके साथ ही 21 राज्यों में एनडीए की सरकार हो जाएगी. कांग्रेस की सरकार अब सिर्फ तीन राज्यों में बची है. वहीं अन्य सात राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार है. अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां बीजेपी के इस चुनावी अश्वमेघ रथ को रोकने में कामयाब होंगी. 2019 के लोकसभा चुनाव पर कर्नाटक चुनाव के नतीजे का क्या असर पड़ेगा.


कर्नाटक चुनाव के नतीजे बताते हैं कि विपक्ष बंटा हुआ है. अगर कांग्रेस ने जेडीएस और मायावती के साथ गठबंधन कर लिया होता तो आज वो दो तिहाई बहुमत से सरकार बना लेते. कर्नाटक चुनाव का ये संदेश है कि अगर बीजेपी के विजय रथ को रोकना है तो विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा. इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है.


कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों को जनता को ये बताना होगा कि अगर वो सत्ता में आएंगे तो बीजेपी से अलग क्या-क्या करेंगे. इन्हें बीजेपी से हट कर जनता के सामने नीतियों और विकास का एक मॉडल पेश करना होगा. सिर्फ बीजेपी की आलोचना करने से कुछ नहीं होगा.


कांग्रेस को समझना होगा कि ये 1947 का भारत नहीं है कि हर जगह कांग्रेस ही हो. इस समय देश में कई सारी राजनीतिक पार्टियां हैं और उनकी सरकार है. बीजेपी धर्म को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. इसलिए वो लगातार जीत रही है. इस राजनीति को तोड़ने के लिए विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा. विपक्ष की एकता का मतलब है कि समाज की एकता. अलग-अलग जाति और वर्ग के आधार पर बनी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी को मात दे सकती हैं. जिस तरह बिहार में गठबंधन हुआ था उसी तरह पूरे देश में गठबंधन करना होगा. बिहार का रास्ता ही देश का रास्ता का है.


अगर राज्यों में कांग्रेस के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों के बीच गठबंधन होता है तो तब भी बीजेपी को हराया जा सकता है. जिस तरह गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में एसपी और बीएसपी ने बीजेपी को हराया था इसी तरह का उदाहरण अन्य राज्यों में पेश करना होगा. अगर यूपी में एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी के बीच गठबंधन बनता है तो ये गठबंधन देश की राजनीति तय करेगा. कांग्रेस को गठबंधन बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी. यूपी में कैराना और नूरपूर उपचुनाव से इसकी शुरूआत की जानी चाहिए. कांग्रेस को अपनी ऐतिहासिक भूमिका को निभाना पड़ेगा.


अगर अभी भी कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस एक साथ आ जाते हैं तो बीजेपी को सरकार बनाने से रोका जा सकता है. दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत जोड़े तो वो दो तिहाई से ज्यादा है. कांग्रेस को अपना अहंकार छोड़ कर गठबंधन करना होगा. ये 2018 है, ये 1950 का भारत नहीं है और आज के समय के मुताबिक कांग्रेस को रणनीति बनानी होगी. न सिर्फ पार्टी बल्कि नीतियों का भी गठबंधन बनाना होगा ताकि समाज के हर एक तबके को उसमें शामिल किया जा सके.


नोट: दलित चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल से बातचीत पर आधारित.