चीन के विस्तारवाद पर 'क्वाड' की भूमिका पर चर्चा के लिए शनिवार को दिल्ली के जिमखाना क्लब में  'नेशनल डिफेंस डायलॉग' का आयोजन किया गया. ये इस मीट का दूसरा वर्ष था. इस बार की मीट की थीम 'क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड): ग्लोबल एंड रिजनल प्रस्पेक्टिव्स' थी. इस सम्मेलन में सामरिक मामलों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इसमें भारतीय सेना की मिलिट्री इंटेलीजेंस के पूर्व डीजी, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) रवि के साहनी, अंडमान निकोबार के पूर्व उप-राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) ए के सिंह, नौसेना के पूर्व कमांडिंग इन चीफ, वाइस एडमिरल सतीश सोनी, पूर्व राजनयिक अनिल वाधवा और अरूण के सिंह सहित शिक्षाविद्  श्रीकांत कोंडापल्ली शामिल हुए थे. 


सम्मेलन में सभी सामरिक जानकार इस बात को लेकर सहमत थे कि दुनिया की महाशक्ति बनने के लिए चीन समंदर में अपनी ताकत लगातार बढ़ा रहा है. इसके लिए चीन हर साल 10-15 नए युद्धपोत अपनी नौसेना में शामिल कर रहा है. सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सैन्य विशेषज्ञों और राजनयिकों की मानें तो अमेरिका,आस्ट्रेलिया, जापान और भारत का गठजोड़ चीन के बढ़ती दादागिरी के खिलाफ ही बनाया गया है. हालांकि, क्वाड कोई मिलिट्री एलांयस नहीं है लेकिन इस संगठन में शामिल चारों देश सालान मेरीटाइम मिलिट्री एक्सरसाइज, मालाबार में हिस्सा लेते हैं. हालांकि आस्ट्रेलिया ने पिछले साल से ही इसमें हिस्सा लेना शुरू किया है. 


सम्मेलन में मेरीटाइम डोमेन में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते सहयोग पर भी चिंता जताई गई. क्योंकि समंदर में पाकिस्तान काफी कमजोर है. लेकिन अगर चीन समंदर में पाकिस्तान को सहयोग करता है तो ये भारत के लिए बेहद गंभीर मुद्दा बना जाता है. इस डायलॉग के दौरान लाइव पैनल डिसक्शन भी आयोजित किया गया. इसके अलावा इस सम्मेलन में कई सदस्य ऑनलाइन माध्यम द्वारा भी इस सम्मेलन से जुड़े.


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