नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के नाम संबोधन में एलान किया था कि 18 साल के ऊपर सभी व्यक्तियों का कोरोना टीकाकरण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार करवाएगा. प्रधानमंत्री के एलान के बाद 21 जून से देश में नई वैक्सिनेशन पॉलिसी लागू होगी. केंद्र सरकार का लक्ष्य इस साल के आखिर तक देश की पूरी आबादी को टीका लगाने की है. लेकिन जिस रफ्तार से देश में अभी टीकाकरण हो रहा है उस रफ्तार से लक्ष्य तक पहुंचना मुमकिन नजर नहीं आ रहा है.


देश में अगर लक्ष्य के मुताबिक अगर साल के आखिर तक सभी वयस्कों को वैक्सीन लगानी है तो 16 जनवरी से सात जून तक टीकाकरण का जो राष्ट्रीय रोजाना औसत  रहा है उसे बढ़ाकर पांच गुना करना पड़ेगा. अगर आपको यह सुनने में कठिन लग रहा है तो ऐसे समझें की देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश को टीकाकरण औसत को नौ गुना बढ़ाना पड़ेगा. वहीं बिहार को आठ गुना, तमिलनाडु, झारखंड और असम को अपना दैनिक टीकाकरण औसत सात गुना बढ़ाना पड़ेगा.


उत्तर प्रदेश और बिहार टीकाकरण लक्ष्य से बहुत पीछे
अंग्रेजी अखाबर टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार से इस साल में अभी 207 दिन बाकी हैं. अभी तक 143 दिन के टीकाकरण के हिसाब से आगे के आंकड़ों की बात करें तो निष्कर्ष चिंताजनक हैं. उत्तर प्रदेश ने पांच महीने के टीकाकरण में अभी वयस्क 12% आबादी को वैक्सीन की पहली डोज़ दी है. वहीं सिर्फ 1.4% को ही उत्तर प्रदेश में वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी हैं. यूपी में वैक्सीन के दैनिक औसत की बात करें तो करीब 1.4 लाख लोगों को प्रदेश में रोज वैक्सीन लगी है. लेकिन अगर साल के आखिर तक उत्तर प्रदेश में सभी को टीका लगाना है तो इस दैनिक औसत को बढ़ाकर 13.2 लाख डोज़ रोजाना करना पड़ेगा.


इसी तरह बिहार में 12.5% आबादी को पहली डोज़ और 2.5% को दूसरी डोज़ दी जा चुकी है. बिहा में टीकाकरण का दैनिक औसत 78 हजार है जिसे लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बढ़ाकर 6.6 लाख करना पड़ेगा.
 
हिमाचल और केरल में स्थिति बेहतर लेकिन यहां भी बढ़ाने की जरूरत
वहीं अगर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां 38.1% को पहली और 7.9%  जनसंख्या को दूसरी डोज़ दी जा चुकी है. हिमाचल प्रदेश को भी अपना दैनिक टीकाकरण औसत 18 हजार से बढ़ाकर 41 हजार प्रतिदिन करना होगा. केरल ने 31 प्रतिशत आबादी को पहली डोज़ और 8.1 को दूसरी डोज़ दे दी है. केरल को भी अपना दैनिक टीकाकरण की रफ्तार को ढाई गुना बढ़ाना पड़ेगा.


देश के अन्य राज्यों का हाल
देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले छह में से पांच राज्यों को साल का आखिर तक लक्ष्य हासिल करने के लिए टीकाकरण के रोजोना औसत को बढ़ाकर पांच गुना या इससे ज्यादा बढ़ाना होना. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश शामिल हैं. वहीं आबादी के हिसाब से दूसरा सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र को अपने टीकाकरण की रफ्तार को 4.5 गुना बढ़ाना होगा. जनसंख्या के हिसाब से अन्य दस राज्यों की बात करें तो राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, और आंध्रप्रदेश को टीकाकरण को तीन से चार गुना बढ़ाने की जरूरत है. इन राज्यो के लिए यह काम कठिन है लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के सामने ज्यादा बड़ी चुनौती है.


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