अमेरिका के साथ सितंबर में होगी 'टू प्लस टू' वार्ता: निर्मला सीतारमण
दरअसल, टू प्लस टू डायलॉग के तहत भारत की रक्षा और विदेश मंत्रियों की एक साथ अपने-अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ वार्ता होनी है. ये पहली बार होगा कि किसी देश के साथ भारत इस तरह की बैठक करने जा रहा है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सितंबर महीने के पहले हफ्ते में 'टू प्लस टू (2+2) डायलॉग' के लिए अमेरिका जायेंगी. इस बात की पुष्टि खुद रक्षा मंत्री ने राजधानी दिल्ली में की है. साथ ही उन्होनें ये भी साफ किया कि यूएस और रशिया में से भारत किसी एक को नहीं चुन सकता है क्योंकि रशिया के साथ भारत के संबंध दशकों पुराने हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि अमेरिका के कानून का रशिया से होने वाले एस-400 मिसाइल सौदे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राजधानी दिल्ली में चुनिंदा पत्रकारों से बात करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि एस400 मिसाइल प्रणाली का सौदा 'आखिरी चरण' में है.
दरअसल, टू प्लस टू डायलॉग के तहत भारत की रक्षा और विदेश मंत्रियों की एक साथ अपने-अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ वार्ता होनी है. ये पहली बार होगा कि किसी देश के साथ भारत इस तरह की बैठक करने जा रहा है. पहले ये मीटिंग जून के पहले हफ्ते में होनी थी लेकिन अमेरिकी विदेश सचिव, माइक पोम्पियो के उत्तर कोरिया की यात्रा पर जाने के चलते स्थगित कर दी गई थी. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि टू प्लस टू डायलॉग इसी वजह से स्थगित हुई थी, इससे ज्यादा कोई कारण नहीं था.
अमेरिकी कानून, काटसा (काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शन्स) के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका कोई असर एस400 सौदे पर नहीं पड़ने वाला है. क्योंकि ये कानून अमेरिका का है ना कि यूएन (संयुक्त राष्ट्र) का. साथ ही रशिया से इस पर सौदे पर बातचीत काटसा कानून आने से पहले से चल रही है. दरअसल, अमेरिका ने रशिया (ईरान और उत्तर कोरिया सहित कुछ देशों) पर पाबंदियां लगा रखी हैं. इस कानून के तहत अगर कोई देश इन देशों से कोई हथियार खरीदता है तो अमेरिका उस देश को कोई हथियार नहीं बेचेगा. लेकिन निर्मला सीतारमण ने दो टूक कहा कि हमने हाल ही में भारत के दौरे पर आए अमेरिकी सीनेट के प्रतिनिधिमंडल को अपनी परस्थिति साफ कर दी है.
चीन के साथ संबंधों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (यानि एलएसी) पर स्थिति अलग-अलग है. इस सवाल पर कि क्या चीन के खिलाफ खड़ी की जा रही माउंटन स्ट्राइक कोर के लिए फंड की कोई कमी है, रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा बजट की कोई कमी नहीं है और ना ही हम इसके महत्व को कम आंक रहे हैं. सेना जरूर इस बारे में कुछ विचार कर रही है. रक्षा मंत्री का इशारा सेना की उस पहल पर था जिसमें माउंटन स्ट्राइक कोर (17वीं कोर) के लिए अलग से बटालियन ना खड़ी करके बल्कि जो सेना की बटालियन हैं उसी में से खड़ा किया जा सके.