शिकायतें मिलने के बाद उठाया कदम
मंत्रालय ने कहा कि ऐसे चिकित्सा उपकरण जिन्हें दवाई के रूप में माना गया है उन्हें भी इन नियमों के दायरे में लाया गया है. अभी तक ऑनलाइन बेचे जाने वाले सामान पर सिर्फ एमआरपी ही छपा होता था. मंत्रालय को ऑनलाइन बेचे जाने वाले उत्पादों के पैकेट पर समुचित सूचनाएं नहीं होने की काफी शिकायतें मिली थीं, जिसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया है.
संशोधनों के तहत ई-कामर्स (ऑनलाइन) प्लेटफार्म पर बेचे जाने वाले सामान पर नियमों के तहत ब्योरा देना होगा.
- एमआरपी के अलावा कंपनियों को विनिर्माण की तारीख (मैन्युफैक्चरिंग डेट), एक्सपायरी डेट, शुद्ध मात्रा, देश और कस्टमर केयर का ब्योरा देना होगा.
- मंत्रालय ने कहा कि इस घोषणा के लिए छापे जाने वाले शब्दों और अंकों का आकार बढ़ाया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को इन्हें पढ़ने में आसानी होगी.
- कोई भी व्यक्ति एक जैसे पैकेटबंद सामान के लिए अलग-अलग एमआरपी की घोषणा नहीं कर सकता.
- इसके अलावा सरकार ने शुद्ध मात्रा की जांच को अधिक वैज्ञानिक बनाया है. वहीं बारकोड-क्यूआर कोडिंग की इजाजत स्वैच्छिक आधार पर दी गई है.
पैकेटबंद सामग्री नियम में जून, 2017 में संशोधन हुआ
इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पैकेटबंद सामग्री नियम में जून, 2017 में संशोधन किया था. कंपनियों को इस नए नियम का पालन करने के लिए छह महीने का समय दिया गया था. मंत्रालय ने बयान में कहा कि पैकेटबंद सामग्री नियम, 2011 में संशोधन उपभोक्ताओं के हित और बिजनेस आसान बनाने के लिए किया गया है. यह नियम 1 जनवरी, 2018 से लागू हो गया है.
देश में ई-कामर्स कंपनियों में मुख्य रूप से फ्लिपकार्ट, अमेजन इंडिया, स्नैपडील, ग्रोफर्स और बिगबास्केट कारोबार कर रही हैं.