नई दिल्ली: बदलते समय के साथ पुरानी सोच बदल रही है और नई सोच नई ऊर्जा के साथ परंपरा को तोड़कर नई जगह बना रही है. इस बदलाव को सच साबित करते हुए एक बेटी ने समाज और परिवार के विरोध से ऊपर उठकर विधवा मां की शादी करवाई है. मई, 2016 में गीता अग्रवाल के पति का हार्ट अटैक से निधन हो गया और इस तरह वो अकेले हो गईं. वैसे तो गीता अग्रवाल पेशे से टीचर हैं लेकिन मार्च, 2017 में जब उनकी छोटी बेटी काम करने के लिए गुड़गांव आ गई तो उनका अकेलापन उन्हें डसने लगा और वो डिप्रेशन में चली गईं.


बेटी की दिक्कत ये थी कि वो अपने मां के पास सिर्फ हफ्ते में एक दिन ही आ सकती थी. तभी बेटी ने अगस्त में फैसला लिया कि वे अपनी मां के लिए बेहतर पार्टनर ढूढ़ेंगी. बेटी संहिता कहती हैं, "हर किसी को अपनी जिंदगी में एक पार्टनर की जरुरत होती हैं जिससे वह अपनी सारी बातें शेयर कर सके. मैंने अपनी मां को बिना बताए उनकी प्रोफाइल मैटरिमोनियल साइट पर अपडेट कर दी."


जब संहिता सितंबर में अपने घर गयी तो उन्होंने अपनी मां से बताया तो वो हैरान रह गईं. इन बातों पर संहिता की बड़ी बहन भी इसके खिलाफ हो गई. लेकिन धीरे-धीरे बात बनी और सब साथ हो गए.


शादी के फैसले पर संहिता की मां कहती हैं कि उनके परिवार में विधवाओं का दोबारा से विवाह करना अपमान माना जाता है. दूसरी तरफ पति बने केजी गुप्ता कहते है कि उन्होंने अपने आपको कई साल तक व्यस्त और फिट रखा, लेकिन पार्टनर की जरूरत पड़ती है. वो कहते हैं, "मैं बैडमिंटन खेलने लगा. ऐसे में मेरे दोस्त ने मुझे दोबारा से शादी करने का सुझाव दिया और उन्होंने ही मेरी प्रोफाइल मैटरिमोनियल साइट पर बना दी."


के जी गुप्ता पेशे से रेवेन्यू इंस्पेक्टर हैं और के जी बांसवारा के रहने वाले हैं. संहिता को जब केजी गुप्ता के बारे में पता चला कि तो उन्होंने कहा कि इससे अच्छा क्या हो सकता है. फिर क्या था, दिसंबर में के जी गुप्ता और गीता अग्रवाल ने शादी हो गई.


अब बेटी संहिता कहती हैं कि उन्हें बहुत खुशी हैं कि उनकी मां के चेहरे पर मुस्कान वापस से लौट आई.