देश के पूर्व राष्ट्रपति व भारत के मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का आज जन्मदिन हैं. साल 2002 में वे भारत के 11वें राष्ट्रपति बने थे. उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था.


अब्दुल कलाम के पिता नाविक का काम करते थे और ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं थे. वह मछुआरों को नाव किराये पर देते थे. अब्दुल कलाम का बचपन गरीबी और संघर्षों से गुजरा था. पांच भाई और पांच बहनो के परिवार को चलाने के लिए उनके पिता को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. ऐसे में होनहार और होशियार अब्दुल कलाम को अपनी शुरूआती शिक्षा को जारी रखने के लिए अखबार बेचने का काम करना पड़ता था। आठ साल की उम्र में ही कलाम सुबह चार बजे उठ जाया करते थे. इसके बाद अपने नित्यक्रम से निवृत होकर वह गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. ट्यूशन से आने के बाद कलाम सीधे रामेश्वरम रेलवे स्टेशन जाते और बस अड्डे पर अखबार बांटने लगते थे.


पांचवी कक्षा के टीचर से मिली प्रेरणा


एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आने का कारण डॉ ए. पी. जे अब्दुल कलाम अपने पांचवी कक्षा के टीचर को बताते थे. वे कहते थे कि एक दिन कक्षा में पढ़ाई के दौरान उनके अध्यापक ने विद्यार्थियों से सवाल किया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं. कक्षा का कोई छात्र इस सवाल का जवाब नहीं दे पाया. अगले दिन उनके अध्यापक उन्हे समुद्र तट ले गए जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर उन्होने सभी छात्रों को उनके उड़ने के कारण को समझाया और पक्षियों के शरीर की बनावट को भी समझाया. इन्ही पक्षियों को देखकर कलाम ने तय किया कि वे भविष्य में विमान विज्ञान में जाएंगे. इसके बाद कलाम ने फिजिक्स की पढ़ाई कर मद्रास इंजिनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.


पूरा जीवन प्रेरणादायी है


डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम देश की उन चुनिंदा शख्सियतों में शामिल हैं जिनका पूरा जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी है. उनकी सीख युवाओं को लक्ष्य प्राप्ति में आज भी सहायता करती हैं. उन्होने हमेशा बच्चों को सीख दी कि जीवन में किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न हो लेकिन जब आप अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करने की ठान लेते हैं तो उन्हे पूरा करके ही दम लेते हैं. उनके यही विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2010 में डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के शिक्षक के रूप में उनके योगदान की सराहना करते हुए उनके जन्मदिन को 'अंतरराष्ट्रीय छात्र दिवस' के रूप में मनाने की भी शुरुआत की थी.


डॉ अब्दुल कलाम को 'मिसाइल मैन' कहा जाता है


बेहद सरल, मृदुभाषी डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने माने वैज्ञानिक और एक अभियंता के रूप में मशहूर थे. करीब चार दशकों तक उन्होने मुख्य रूप से एक साइंटिस्ट और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को संभाला था. उन्होने भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शिरकत की थी. बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास कार्यों के लिए भारत में डॉ ए. पी. जे अब्दुल कलाम को 'मिसाइल मैन' की उपाधि से नवाजा गया.


पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया


सन् 1962 में डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम इसरो पहुंच गए. यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए इनके अंडर में ही भारत का पहला स्वदेशी प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बना. 1980 के दौरान रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया गया. इसके साथ ही भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का मेंबर भी बन गया. डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया था. उन्होने भारतीय टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं.


'विजन 2020' भी डॉ कलाम की ही देन है


सन् 1992 से 1999 तक डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस समय वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए थे और इसी के साथ भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में भी शामिल हो गया था. विजन 2020 भी कलाम की ही देन है. इसके अंतर्गत डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में नित नई उन्नति तक 2020 तक अत्याधुनिक बनाने की खास सोच दी. डॉ कलाम ने भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार की भी भूमिका निभाई. सन् 1982 में वह डीआरडीएल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के डायरेक्टर बने. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हे डॉक्टर की उपाधि से भी नवाजा गया. कलाम ने उस दौरान रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरूणाचलम के साथ इंटिग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम का प्रस्ताव भी तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए भी कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. इसके पहले चरण के दौरान जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने की क्षमता रखने वाली मिसाइलों के निर्माण पर जोर दिया गया था. वहीं दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने की क्षमता रखने वाली मिसाइल, टैंकभेदी, और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल(रेक्स) बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम की मिसाइल भी निर्मित की गई.


कई पुरस्कारों से किए गए सम्मानित


सबसे पहले 1985 में त्रिशूल मिसाइल बनाई गई. इसके बाद फरवरी 1988 में पृथ्वी मिसाइल आई और मई 1989 में अग्नि मिसाइल का परीक्षण किया गया. इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम किया. और फिर ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को जमीन, आसमान, और समुद्र कहीं भी दागा जा सकता है. इस सफलता के बाद ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में ख्याति मिली और उन्हे पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया. बता दें कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को 1981 में भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और फिर इसके बाद 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1997 में उन्हे भारत रत्न से नवाजा गया था. भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे राष्ट्रपति थे. 27 जुलाई 2015 को इस महान शख्स ने दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दिया था लेकिन लोगों के दिलों में वो आज भी मौजूद हैं.


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