(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि, जानिए पहले राष्ट्रपति का नेहरू से क्यों था वैचारिक मतभेद
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की आज 136वीं जयंती है. राजेंद्र प्रसाद बेहद ही शांत स्वभाव के व्यक्ति थे. लेकिन इसके बावजूद उनका पंडित नहरू जी के साथ वैचारिक मतभेद रहा था.
नई दिल्ली: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज 136वीं जयंती है. बिहार के जन्मे राजेंद्र प्रसाद दलालु व निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे. उनका जन्म बिहार के भोजपुरा क्षेत्र के एक छोटे से गांव में हुआ था.
आज डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है और संविधान निर्माण में उन्हें अतुलनीय योगदान देने वाला बताया है.
डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय
बताया जाता है कि राजेंद्र प्रसाद पढ़ाई में अव्वल रहा करते थे. कई बार उनकी कॉपी को देखकर शिक्षक दंग रह जाते थे. एक बार एक परीक्षक ने उनकी कॉपी में लिखा था, कि ये "परीक्षार्थी परीक्षक से बेहतर है". उनके बारे जो खास बात बतायी जाती है कि वो बेहद सादगी से अपनी जीवन काटना पसंद करते थे. वक्त से सोना, वक्त पर उठना उनके लिए बहुत जरूरी हुआ करता था.
राजेंद्र प्रसाद जी के स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल होने के पीछे गोपाल कष्ण थे वजह
उन्होंने साल 1915 में लॉ में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. कहा जाता है कि उनके जीवन पर उनके गुरु गोपाल कष्ण गोखले के विचार और महात्मा गांधी ने गहरा प्रभाव डाला था. उन्होंने अपनी आत्मकथा में इस बात का जिक्र भी किया था कि उन्होंने गोपाल कष्ण से मिलने के बाद आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया था. जिसके बाद वो परिवार की रजामंदी लेकर स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हुए. बताया जाता है कि महात्मा गांधी खुद राजेंद्र प्रसाद के निर्मल स्वभाव व उनकी योग्यता को लेकर काफी प्रसन्न हुए थे.
पंडित नेहरू से था राजेंद्र प्रसाद जी का वैजारिक मतभेद
राजेंद्र प्रसाद जी का नेहरू के साथ मतभेद रहा है. बताया जाता है कि कि साल 1947 में सोमनाथ मंदिर के जोर्णोद्धार का फैसला आया था. जिसका कार्य सन्न 1951 में पूरा कर लिया गया था. जिसके बाद उद्घाटन समारोह में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को बुलाया गया था. लेकिन पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि वो वहां जाये. उनका कहना था कि राष्ट्रपति के वहां जाने से लोगों के बीच गलत संदेश जायेगा. लेकिन इसके बावजूद राजेंद्र प्रसाद उद्घाटन में शामिल हुए.
आपको बता दें, उन्होंने इस उद्घाटन समारोह में कहा था कि, "मैं एक हिंदू हूं. लेकिन इसी के साथ मैं सभी धर्मों का आदर करता हूं." उन्होंने कहा कि वो कई मौकों पर चर्च, मस्जिद, दरगाह और गुरुद्वारे भी गये हैं. उन्होंने ये बात कह कर लोगों में भाईचारा बनाये रखने का संदेश दिया.
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