नई दिल्ली: ऐतिहासिक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के तकरीबन सात साल बाद सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केन्द्र में लोकपाल नियुक्त करने की अपनी मांग को लेकर शुक्रवार से अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है. उनकी भूख हड़ताल का आज दूसरा दिन है. वे उसी रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं जहां वह 2011 में भी बैठे थे. बहरहाल इस बार अन्ना के निशाने पर केन्द्र की मोदी सरकार है. हजारे कृषि पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के अलावा केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग पर जोर दे रहे हैं.
अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने मोदी सरकार को 43 पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से लोकपाल और कृषि संकट पर बातचीत करने के प्रयास का कोई नतीजा नहीं निकला. शुक्रवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, "लेकिन मैंने कहा, मैं आप (मंत्री) पर विश्वास नहीं करता. अब तक आपने कितने वादे पूरे किए हैं? एक भी नहीं. इसलिए ठोस कार्ययोजना के साथ आइए." हजारे ने कहा कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को उचित मूल्य निर्धारण के लिए स्वायत्त बनाया जाना चाहिए. सीएसीपी 23 फसलों के लिए मूल्य तय करता है.
बता दें कि यूपीए-2 की सरकार के दौरान अन्ना हजारे ने दिल्ली में एक बहुत बड़ा आंदोलन किया था. उस समय उनके साथ अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव जैसे लोग शामिल थे. उस आंदोलन के बाद केजरीवाल ने अपनी एक नई पार्टी बना ली थी और किरण बेदी बीजेपी में शामिल हो गईं. अब देखना यह होगा कि इस बार के आंदोलन में कौन-कौन लोग अन्ना के साथ मंच पर दिखेंगे.