(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आज बड़े पैमाने पर 'शहीद दिवस' मनाएगी TMC, अलग-अलग भाषाओं में होगा ममता के भाषण का प्रसारण
युवा कांग्रेस की रैली में पुलिस की गोलीबारी में मारे गये 13 लोगों की याद में तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 जुलाई को 'शहीद दिवस' मनाती है.
नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों में इस साल भारी जीत के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर तृणमूल कांग्रेस आज शहीद दिवस मनाएगी. अपने सबसे बड़े वार्षिक कार्यक्रम के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाषण का प्रसारण अलग अलग राज्यों में किया जाएगा. कार्यक्रम दोपहर दो बजे शुरू होगा.
टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बनर्जी के भाषण को पश्चिम बंगाल में बड़े पर्दों पर प्रसारित किया जाएगा और पहली बार तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, त्रिपुरा, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों में भी इसे दिखाया जाएगा. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में भाषण बंगाली में प्रसारित किया जाएगा जबकि अलग-अलग राज्यों में स्थानीय भाषाओं में अनुवादित भाषण प्रसारित किया जाएगा.
टीएमसी नेता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गढ़ गुजरात में भी कई जिलों में टीएमसी की बनर्जी के भाषण को बड़े पर्दे पर प्रसारित करने की योजना है और उसने इस कार्यक्रम के बारे में लोगों को सूचित करने के लिए गुजराती में पुस्तिका वितरित करनी शुरू कर दी है. गुजरात में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
क्या है बंगाल का शदीद दिवस?
देशभर में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है, इस दिन अंग्रेजों ने तय समय से एक दिन पहले ही शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी पर चढ़ा दिया था. बंगाल में आज मनाया जाने वाला शहीद दिवस इससे अलग है.
साल 1993 में कोलकाता में युवा कांग्रेस की रैली में पुलिस की गोलीबारी में मारे गये 13 लोगों की याद में तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 जुलाई को 'शहीद दिवस' मनाती है. दरअसल साल 1993 में ममता बनर्जी के हाथ युवा कांग्रेस की कमान थी. उन्होंने वोटिंग के लिए सिर्फ मतदाता परिचय पत्र को ही दस्तावेज मानने की मांग को लेकर सचिवालय की ओर मार्च निकाला था. इस मार्च के दौरान प्रशासन की ओर से उन्हें रोकने की कोशिश की गई.
पुलिस की भारी मशक्कत के बाद भी ममता बनर्जी के कार्यकर्ता सचिवालय की ओर बढ़ रहे थे. कार्यकर्ताओं की इस भीड़ को रोकने के लिए आखिरकार पुलिस ने गोली चलाई. पुलिस की ओर से हुई इस फायरिंग में 13 कार्यकर्ता मारे गए और कई घायल हुई. इसी हादसे के बाद से ममता बनर्जी हर साल शहीद 21 जुलाई के दिन को शहीद दिवस के तौर पर मनाती हैं.