नई दिल्ली: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है. व्रती आज डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. घर के पुरुष सदस्य दउरा लेकर छठ घाट तक जाते हैं. इस दउरा में फल और ठेकुआ भरा होता है. व्रती आज शाम जल में खड़े होकर भगवान भास्कर की आराधना करेंगे. इस दौरान सूर्य अस्त होने के बाद सभी लोग घर की ओर प्रस्थान कर जाएंगे. अगले दिन चार दिवसीय इस पर्व का समापन होगा. व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगे. जिसके बाद वहां मौजूद लोगों के बीच ठेकुआ और पूजा में उपयोग किए गए फलों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा.
चार दिनों तक चलने वाली इस पूजा में शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है. इस पूजा में मौसमी फल, सब्जी और मसालों का उपयोग किया जाता है. खरना के दिन नए चावल से खीर का प्रसाद बनाया जाता है. इस प्रसाद को व्रती सूर्य देव का भोग लगाने के बाद खुद ग्रहण करती हैं जिसके बाद लोगों के बीच बांट दिया जाता है.
इससे पहले नहाय खाय का व्रत होता है इस दिन प्रसाद के रूप में चावल और चना दाल खाया जाता है. दाल को सेंधा नकम में बनया जाता है. जिसे पहले व्रती लोग खाते हैं और उसके बाद यह सभी लोगों के बीच बांट दिया जाता है.
चार दिनों तक चलने वाले इस पूजा में घर के सभी सदस्य भाग लेते हैं. नए नए कपड़े पहन कर सभी लोग छठ घाट तक जाते हैं और वहां होने वाले पूजा में शामिल होते हैं. इस दौरान बच्चों में खासा जोश देखने को मिलता है.
खास बात यह है कि इस पूजा में ब्रह्माण यानी पूजा करवाने वालों की कोई जरूरत नहीं होती है. व्रती खुद से सूर्य की आरधना करते हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दौरान जो लोग इस व्रत को नहीं कर रहे होते हैं वह व्रती के सूप को जल अर्पण करते हैं.
यह भी देखें: