बेंगलुरूः 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण आज दिखाई देगा. हालांकि यह एक आंशिक उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा. जून महीने की पूर्णिमा यानी फूल मून को स्ट्रॉबेरी मून भी कहा जाता है. इसलिए इसे स्ट्रॉबेरी चंद्रग्रहण का नाम दिया गया है. इस मून को रोस मून या हनी मून भी कहा जाता है. जून और जुलाई के भीतर दो ग्रहण आम बात है लेकिन तीन ग्रहण बहुत ही कम बार होते हैं. इस बार जून और जुलाई के बीच तीन ग्रहण लग रहे हैं.


आज के चंद्र ग्रहण के बाद 21 जून को खंडग्रास यानी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका और यूरोप कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा. ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.14 मिनट पर, ग्रहण का मध्य 11.56 मिनट पर और ग्रहण का मोक्ष 1.38 मिनट पर होगा. ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात 10.14 मिनट से आरंभ हो जाएगा. सूतक जो 21 जून की दोपहर 1.38 तक रहेगा. इस वर्ष का यह एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा. इसके अलावा 5 जुलाई को फिर से पेनुम्ब्रल लुनर एक्लिप्स होगा.


आपको बता दें कि चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है. ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें.


चन्द्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं फुल, आंशिक और पेनुम्ब्रल. एक चंद्रग्रहण के दौरान, पृथ्वी सूर्य की कुछ रोशनी को सीधे चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है और पृथ्वी की छाया के बाहरी हिस्से को, जिसे पेनम्ब्रा कहा जाता है, चंद्रमा के सभी या कुछ भाग को कवर करता है. क्योंकि पृथ्वी की छाया के डार्क कोर की तुलना में पेनुम्ब्रा थोड़ा हल्का डार्क होता है, इसलिए इस ग्रहण को देखना मुश्किल है. यही कारण है कि कभी-कभी पेनुम्ब्रल लूनर एक्लिप्स को लोगों द्वारा पूर्ण चंद्रग्रहण मान लिया जाता है.


पेनुम्ब्रल लुनर एक्लिप्स के दौरान चन्द्र की रोशनी केवल 10% डिम होती है. यहीं कारण है कि हमारी आंखों को ज्यादा नोटिस नहीं कर पाएगा. आज का यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया, हिन्द महासागर और ऑस्ट्रेलिया में देखा जाएगा. भारत में भी यह दिखेगा. ग्रहण रात 11.16 पर शुरू होगा और 02.34 बजे ख़तम होगा.


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