Supreme Court: दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले डीएनडी फ्लाईवे में टोल वसूली बंद ही रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डीएनडी को टोल फ्री कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डीएनडी टोल ब्रिज कंपनी के साथ हुआ एग्रीमेंट ऐसा था, जिससे वह हमेशा टोल वसूल करते रह सके. हाई कोर्ट ने इसे हटा कर सही किया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा NTBCL को बिना सार्वजनिक टेंडर जारी किए ठेका दिया गया. यह पूरी तरह मनमाना और गलत फैसला था.
8 साल बाद आया फैसला
26 अक्टूबर 2016 को दिए फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि डीएनडी को चलाने वाली नोएडा टोल ब्रिज कंपनी कांट्रेक्ट के मुताबिक तय पैसे कमा चुकी है. इसके मद्देनज़र हाई कोर्ट ने टोल वसूली पर तुरंत रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ टोल कंपनी तुरंत सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक से मना कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले पर अंतिम फैसला दिया है.
'नागरिकों को ऐसी याचिका का अधिकार'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस को जनहित में ऐसा करने का अधिकार था. कोर्ट ने नोएडा ऑथोरिटी की आलोचना करते हुए कहा कि उसने टोल ब्रिज कंपनी के साथ ऐसा एग्रीमेंट किया, जिससे कंपनी को अनंत काल तक टोल वसूलने का अधिकार मिल गया. लंबे समय तक चली टोल वसूली के चलते आम लोगों से कई सौ करोड़ रुपए धोखाधड़ी से वसूले गए हैं.
'विज्ञापन विवाद कहीं और निपटाएं'
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि 2001 में डीएनडी (दिल्ली नोएडा डायरेक्ट) रोड चालू होने के बाद 2016 तक टोल कंपनी बहुत अधिक मुनाफा कमा चुकी थी. अब उसे दोबारा आम लोगों से टोल वसूलने का अधिकार नहीं मिल सकता. लेकिन कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक कंपनी फिलहाल रोड का रखरखाव करती रहेगी. ब्रिज में विज्ञापन लगाने को लेकर नोएडा ऑथोरिटी और टोल ब्रिज कंपनी के बीच विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की है. कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष उस विवाद का निपटारा उचित कानूनी फोरम में करें.
'क्या चांद तक सड़क बना दी है?'
2016 में हुई सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने डीएनडी टोल ब्रिज कंपनी की खिंचाई की थी. कंपनी के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी बार-बार डीएनडी को देश का सर्वश्रेष्ठ हाई वे बता रहे थे. इस पर तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा था, "यह सिर्फ 10 किलोमीटर की सड़क है. आप तो ऐसे बात कर रहें जैसे चांद तक रास्ता बना दिया हो."
कोर्ट ने सिंघवी की इस मांग को भी ठुकरा दिया था कि जब तक खातों का ऑडिट नहीं हो जाता तब तक उसे टोल वसूलने दिया जाए. सिंघवी का कहना था कि अगर 2 महीने में ये पता चलता है कि कंपनी सही थी तो क्या वो इस दौरान मुफ्त में गुज़रने वाले लोगों का पीछा करेगी. इस पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ने कहा था, "अगर आपको टोल वसूलने दें और बाद में आप गलत साबित हों तो क्या होगा? क्या आप लोगों का पीछा कर उनके पैसे लौटाएंगे?"